
प्रदेशभर में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार एवं राज्य स्वच्छ गंगा मिशन, नमामि गंगे उत्तराखण्ड के संयुक्त तत्वावधान में योग शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इस साल नमामि गंगे कार्यक्रम ने एक नई पहल करते हुए योग शिविरों के साथ-साथ आसपास स्थित मंदिरों और मठों में वेद, पुराणों और नदी सभ्यता पर विशेष चर्चा की जा रही है। इन संवादों में वेदों, पुराणों में वर्णित नदियों के महत्व, गंगा नदी की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक भूमिका पर चर्चा की जा रही है। इसी क्रम में आज मां कात्यानी देवी कसार देवी मंदिर परिसर अल्मोड़ा में नमामि गंगे के तहत वेद ,पुराण नदी सभ्यता पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन के साथ राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय एन.टी.डी के प्रधानाचार्य दीपक वर्मा, सरस्वती शिशु मंदिर कसर देवी की अध्यापिका दीप्ति बिष्ट, प्रकाश बोरा, ललिता जोशी, लल्लन कुमार सिंह, रॉबिन हिमानी ने संयुक्त रूप से मिल कर किया। यह कार्यक्रम डॉ नवीन चंद भट्ट विभागाध्यक्ष योग विज्ञान विभाग सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के संरक्षण में आयोजित किया जा रहा है जिनका उद्देश्य “वेद, पुराण और योग न केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर हैं, बल्कि आत्मिक उन्नति और वैश्विक कल्याण के आधार स्तंभ हैं। ‘नमामि गंगे’ अभियान के अंतर्गत 21 जून-अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस तक उत्तराखण्ड के विभिन्न तीर्थस्थलों एवं मंदिर परिसरों में इस प्रकार के संवाद आयोजित करने का उद्देश्य केवल ज्ञान का प्रचार नहीं, बल्कि जनमानस को अपनी जड़ों से पुनः जोड़ना है। कार्यक्रम का संचालन डॉ गिरीश अधिकारी ने किया साथ ही अंत में कल्याण मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापन कर दिया गया। कार्यक्रम में कसार देवी की जनता जनार्दन उपस्थित थी। जिन्होंने इस कार्यक्रम में बढ़ चढकर हिस्सा लेकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई नमामि गंगे का यह आयोजन सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सनातन मूल्यों, योग, पर्यावरण और भारतीय संस्कृति का संगम है, जो आज के दौर में भारत को अपनी पहचान की ओर फिर से अग्रसर कर रहा है।