
उत्तराखंड राज्य में 9 मई को जारी हुए अच्छे परीक्षाफल का परिणाम कहै या निजि विद्यालयों से मोहभंग होने की शुरूवात। धीरे से ही सही लेकिन सरकारी विद्यालयों की ओर लोगों का रूझान बढ़ने लगा है इस बीच रानीखेत से एक शिक्षिका ने अपने पुत्र का प्रवेश सरकारी विद्यालय में कराने का समाचार छपा है तो दूसरी ओर राजकीय इंटर कालेज नगरखान में कार्यरत एक प्रवक्ता सुभाष जोशी ने कक्षा 6 में इसी विद्यालय में अपने पुत्र का प्रवेश कराया है। विद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य मनीष जोशी और वहां कार्यरत समस्त स्टाफ द्वारा सुभाष जोशी की सराहना करते हुए बधाई दी है। जिला पंचायत सदस्य शिवराज बनौला, राज्य आंदोलनकारी ब्रह्मानंद डालाकोटी ने भी इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि इस विद्यालय की तीन बालिकाएं अभी हाल ही में घोषित हाई स्कूल तथा इंटर के परीक्षा परिणामों में मैरिट में आई हैं और शत प्रतिशत पास हुए बच्चों में अधिकतर प्रथम श्रेणी व आनर्स की श्रेणी में उत्तीर्ण हुए हैं। जबकि इस विद्यालय में सुविधाओं के नाम पर कक्षा कक्ष तक पठन पाठन के लिए नहीं हैं अन्य सुविधाओं की तो बेहद कमी है फिर भी विद्यालय में कार्यरत सभी अध्यापकों द्वारा कठोर परिश्रम के परिणाम स्वरूप यह उपलब्धि हुई है। इससे यह भी सिद्ध होता है ग्रामीण क्षेत्रों न तो प्रतिभाओं की कमी है और न ही वहां कार्यरत अध्यापकों द्वारा मेहनत में कोई कमी की जा रही है बस ये विद्यालय पठन पाठन की सुविधाओं के अभाव का दंश झेल रहे हैं जिससे जहां ये कभी कभी अपेक्षित परिणाम नहीं दे पाते वही निजि शिक्षा संस्थानों की चकाचौंध, प्रचार प्रसार, व्यक्तिगत जनसंपर्क का मुकाबला ये सरकारी विद्यालय नहीं कर पाते इसलिए पूरी मेहनत और अच्छी संभावनाओं बावजूद सरकारी विद्यालयों में छात्र संख्या घटती जा रही है। सरकार को इस सभी स्थितियों को ध्यान में रखकर शिक्षा व्यवस्था में सुधार करना चाहिए।