
प्रतीक्षा खत्म हुई। सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में घड़ियों की सुई जैसे ही 4.32 पर पहुंची। महाकुंभ वैसे ही प्रारंभ हो गया। पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व का यही पुण्यकाल है लेकिन श्रद्धालुओं की यह व्यग्रता ही है कि उन्होंने आधी रात से ही गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम के साथ विभिन्न घाटों पर स्नान शुरू कर दिया।