अल्मोड़ा। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत अब पंजीकृत श्रमिकों को अपनी पहचान की पुष्टि के लिए “जीवित प्रमाण पत्र” देना अनिवार्य किया गया है। इसके लिए सभी श्रमिकों को ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

केंद्र सरकार के निर्देशों पर शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य फर्जी लाभार्थियों पर रोक लगाना और वास्तविक पात्र श्रमिकों को ही योजना का लाभ सुनिश्चित करना है। अल्मोड़ा जिले में मनरेगा से जुड़े लगभग 1,36,164 श्रमिकों की ई-केवाईसी कराई जाएगी।
इस प्रक्रिया के तहत श्रमिकों को बायोमेट्रिक सत्यापन, आधार प्रमाणीकरण और आवश्यक दस्तावेजों के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी। जिले के 11 विकासखंडों की 1160 ग्राम सभाओं में चल रही मनरेगा योजनाओं के अंतर्गत ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर मिलते हैं।
इसके लिए पात्र परिवारों को जॉब कार्ड जारी किए जाते हैं, जिनके माध्यम से वे विभिन्न विकास कार्यों में मजदूरी कर अपनी आजीविका चलाते हैं। मनरेगा से जुड़े सक्रिय श्रमिकों को अपने जीवित होने का प्रमाण 31 अक्तूबर तक वेबसाइट पर अपलोड करना होगा।
इसके लिए श्रमिकों को अपने मोबाइल फोन में नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (NMMS) और आधार फेस प्रमाणीकरण एप इंस्टॉल करना होगा। यह कार्य ग्राम पंचायतों में तैनात ग्राम रोजगार सेवक और ग्राम विकास अधिकारी द्वारा करवाया जाएगा।
अधिकारियों के अनुसार, ई-केवाईसी प्रणाली लागू होने से फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी और यह सुनिश्चित होगा कि सरकारी योजनाओं का लाभ केवल वास्तविक पात्र श्रमिकों को ही मिले।
