अल्मोड़ा जिले के बिनसर अभयारण्य में बीते बृहस्पतिवार को हुई वनाग्नि की घटना में चार लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई जबकि चार गंभीर रूप से झुलस गए। इस घटना की सूचना मिलने पर जब फॉरेस्टर और उनके साथ गई टीम के अधिकारी मौके पर पहुंचे तो वह वहां का मंज़र देख सहम गए। वाहन जल चुका था और अगल-बगल चार साथियों के शव पड़े थे। वहीं कुछ दूरी पर आग की चपेट में आए चार अन्य साथी खुद को आग से बचने की असफल कोशिश करते हुए नजर आए। मौके पर पहुंचे अधिकारियों और कर्मचारियों ने आनन-फानन चारों कर्मचारियों को आग के घेरे से बचाया और फौरन अस्पताल भेजा। मौके पर पहुंची एनडीआरएफ के जवानों के साथ वन विभाग के अधिकारियों ने मृतक साथियों के शव पोस्टमार्टम हाउस भिजवाए। अस्पताल ले जाते समय आग से झुलस चुके एक एक कर्मचारी ने जब जंगल में मचे इस मौत के तांडव के बारे में बताया कि आग लगने की सूचना पर वह और सात अन्य साथियों के साथ विभाग के वाहन से मौके पर पहुंचे। वाहन से उतरने के बाद उन्होंने देखा की सड़क के नीचे ढलान से आग ऊपर की ओर आ रही थी। उस समय आठ वन कर्मियों में से कुछ आग बुझाने की रणनीति बना रहे थे और कुछ वाहन से अपना सामान बाहर निकाल रहे थे। तभी आग की लपटों ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया। बचने की कोई उम्मीद बाकी नहीं रही। सभी कर्मचारी लपटों से बचने का प्रयास करते रहे लेकिन आग इतनी भयानक थी कि सड़क पर खड़ा वाहन तक उसकी चपेट में आ गया। एक-एककर सब धुएं के गुबार में गायब होने लगे और उसकी आंखों के सामने भी अंधेरा छा गया। इसके बाद क्या हुआ उसे कुछ पता नहीं। एंबुलेंस में जब उसे होश आया तो लड़खड़ाती आवाज में कभी अपने साथियों की कुशलक्षेम पूछता तो कभी अपने परिजनों को पास बुलाने की गुहार लगाता। बीच-बीच में उसके जख्मों का दर्द असहनीय हो जाता तो वह चीखने लगता। मौके से अस्पताल तक पहुंचने तक का करीब एक घंटे का सफर वाहन में सवार अन्य वन्य कर्मियों के लिए बेहद मुश्किल भरा था। सिटी मजिस्ट्रेट एपी वाजपेई ने प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी के हवाले से बताया कि कृष्ण कुमार 44 वर्ष फायर वाचर निवासी भेटुली अल्मोड़ा 82 प्रतिशत जले हैं। इनकी स्थिति चिंंताजनक बनी हुई है। उधर कैलाश भट्ट उम्र (45) दैनिक श्रमिक निवासी घनेली अल्मोड़ा 42% प्रतिशत, कुंदन सिंह (42) पीआरडी जवान निवासी खाखरी 40% जबकि भगवत सिंह (36) चालक निवासी भेटुली आयरपानी 50% प्रतिशत जले हैं।