देवभूमि के पंच केदारों में से एक चतुर्थ केदारनाथ भगवान रुद्रनाथ के कपाट पूरे विधि विधान के साथ जय रुद्रनाथ, जय गोपीनाथ के जयकारों संग 18 अक्टूबर को शीतकाल तक के लिए बंद कर दिए गए हैं। कपाट बंद होने से पहले सुबह आठ बजे भगवान रुद्रनाथ का अभिषेक पूजा-अर्चना हुई। जिसके बाद हज़ारो श्रद्धालु की मौजूदगी मे चतुर्थ केदार रुद्रनाथ की उत्सव डोली गोपीनाथ मंदिर में विराजमान की गयी। अब शीतकाल में छह माह तक रुद्रनाथ भगवान गोपीनाथ मंदिर में ही श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे। आपको बता दे की चमोली जनपद में स्थित भगवान रुद्रनाथ की यात्रा काफी कठिन है। समुद्र तल से करीब 11,808 फुट की ऊंचाई पर स्थित भगवान रुद्रनाथ के मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को चमोली स्थित सगर गांव से 19 किमी तक पैदल चलना पड़ता है। बुधवार को निकली भगवान रुद्रनाथ की उत्सव डोली गुरुवार को डोली सगर गांव होते हुए गांव मंगोल पहुंची। इसके बाद यह उत्सव डोली शुक्रवार को शीतकालीन पूजा स्थल गोपीनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए विराजमान हो गई है। अब श्रद्धालु अगले 6 महीने तक गोपीनाथ मंदिर में चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ के दर्शन कर सकेंगे। मुख्य पुजारी जनार्दन तिवारी ने कहा कि शीतकाल के लिए चतुर्थ केदारनाथ भगवान रुद्रनाथ के कपाट 18 अक्टूबर को बंद कर दिए गए हैं. भगवान रुद्रनाथ की चलविग्रह डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल गोपीनाथ मंदिर पहुंच चुकी है। इसके बाद मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं ने भगवान रुद्रनाथ के दर्शन किए। मुख्य पुजारी चक्रधर तिवारी का कहना है कि उत्तर भारत में रुद्रनाथ एक मात्र ऐसा शिव मंदिर है, जहां पर भगवान शिव के मुख्य दर्शन होते हैं। अब शीतकाल में गोपीनाथ मंदिर में भगवान रुद्रनाथ विराजमान रहेंगे यही भक्त भगवान रुद्र के दर्शन कर पाएंगे।