उत्तराखंड राज्य में कुशल वनाग्नि प्रबन्धन के लिए चीड़ पिरूल एकत्रीकरण को मिशन मोड में संचालित करने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से प्रत्येक चीड़ आच्छादित वन प्रभाग में लक्ष्य निर्धारित करने के निर्देश दिए गए। निर्देशों के क्रम में अपर प्रमुख वन संरक्षक वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन द्वारा क्षेत्रीय प्रभागीय वनाधिकारी, अल्मोड़ा, चम्पावत, गढ़वाल, बागेश्वर, मसूरी, लैंसडौन, नैनीताल, सिविल अल्मोड़ा, उत्तरकाशी, टिहरी, टौंस, पिथौरागढ़, अपर यमुना बड़कोट, नरेन्द्रनगर, हल्द्वानी, रुद्रप्रयाग, चकराता, बद्रीनाथ, रामनगर एवं सिविल सोयम कालसी वन प्रभाग को निर्देशित किया गया है।
सीएम धामी ने कहां –
पिरूल एकत्रीकरण को मिशन मोड में क्रियान्वित करने के लिए प्रत्येक चीड़ आच्छादित क्षेत्रीय रेंज में एक ब्रिकेट/पैलेट यूनिट की स्थापना सुनिश्चित की जाए, ताकि एकत्रित पिरूल का प्लांट में उपयोग होकर ब्रिकेट, पैलेट उत्पादित करने के साथ ही संबंधित उद्यमियों की ओर से उनका विक्रय किया जा सके। उन्होंने स्पष्ट किया है कि इससे पिरूल के वन क्षेत्रों से हटने से वनाग्नि की घटनाओं में कमी आयेगी और स्थानीय संग्रहणकर्ताओं को आय अर्जित होगी। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। रेंजवार पिरूल एकत्रीकरण लक्ष्य 5000 हेक्टेयर में उपरोक्त लक्ष्यों की पूर्ति के लिए न्यूनतम एक ब्रिकेट/पैलेट यूनिट स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने सभी वन क्षेत्राधिकारियों से जिला स्तर पर उद्योग और ग्रामीण विकास विभाग के संबंधित अधिकारियों से समन्वय स्थापित करते हुये उद्यमियों का चयन करने को कहा गया है। राज्य सरकार व वन विभाग से दी जाने वाली सुविधाओं और सहयोग के विषय में जागरूक करने के साथ ही इन यूनिटों की स्थापना सुनिश्चित करायेगें।