उत्तराखंड: सरकार के आम रोगों की दवा का एमआरपी तय कर दिया है जिससे कंपनियां दवा पर इससे ज्यादा एमआरपी लिख ही नहीं सकेगी। डॉक्टर, दवा निर्माता कंपनी और मेडिकल स्टोर अब मरीजों को लूट नहीं सकेंगे।
मरीज इसकी जानकारी होने के बावजूद लुटने पर मजबूर
बता दें कि जेनरिक दवाइयां एथिकल के मुकाबले काफी सस्ती होती हैं। ज्यादातर डॉक्टर इन्हीं का प्रयोग करते हैं। वजह थी कि जेनरिक दवा का एमआरपी उसकी होलसेल बिक्री के रेट से चार से पांच गुना ज्यादा अंकित होता था। निर्माता कंपनी से मेडिकल स्टोर और फिर डॉक्टर तक ये दवाएं होलसेल रेट पर पहुंचती थी। एमआरपी व होलसेल रेट के अंतर का पैसा मेडिकल स्टोर और डॉक्टर के बीच बंटता था। अधिकांश मरीज इसकी जानकारी होने के बावजूद लुटने पर मजबूर थे।
इन दवाओं के एमआरपी निर्धारित
1.टेल्मिसर्टन आईपी 40 एमजी, क्लोर्थालिडोन आईपी 6.25 एमजी, सिल्नीडिपाइन आईपी 10 एमजी 13.17 रुपये।
2. एमोक्सिसिलिन ट्राइहाइड्रेट 400 एमजी, पोटेशियम क्लैबुलनेट आईपी 57 एमजी 4.05 रुपये
3. ओफ्लाक्सासिन आईपी 50 एमजी, मेट्रोनिजाडोल बेंजोएट आईपी 100 एमजी – 0.72 रुपये
4. पैरासिटामोल आईपी 500 एमजी, कैफीन आईपी 50 एमजी – 1.77 रुपये
5. ओफ्लाक्सासिन आईपी 0.3 डब्ल्यू / बी, डेक्सामेथासोन सोडियम फास्फेट 0.1 डब्ल्यू बी – 5.80 रुपये