स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मुरली सिंह रावत का 104 वर्ष की आयु में उनके निवास स्थान कोटद्वार मवाकोट पौड़ी गढ़वाल में निधन हो गया है। बता दें कि मुरली सिंह रावत आजाद हिंद फौज से लेकर 1962 के भारत-चीन युद्ध में शामिल रहे। उनके निधन से उनके गांव में शोक का माहौल है।
आजाद हिन्द फौज के सैनिक बने
मुरली सिंह रावत की प्राथमिक शिक्षा गांव के स्कूल में हुई जिसके पश्चात 1937 में वे सेना में भर्ती हुए। जुलाई 1943 में सिंगापुर में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वारा आजाद हिन्द फौज (INA) के गठन के बाद मुरली सिंह रावत भी आजाद हिन्द फौज के सैनिक बन गए। जहां पर उन्होंने ऑफिसर ट्रेनिंग स्कूल की परीक्षा पास की और उन्हें लेफ्टिनेंट के पद पर प्रोन्नत किया गया। उन्होंने कर्नल जीएस ढिल्लन के नेतृत्व में चौथी गुरिल्ला रेजिमेंट जो बाद में जवाहर रेजिमेंट के नाम से जानी गई ज्वाइन की।
भारत- चीन युद्ध
पीएसी सीतापुर, उत्तरकाशी और मुरादाबाद में तैनाती के बाद 1961 में मुरली सिंह रावत को फिर प्लाटून कमांडर के पद पर उत्तरकाशी भेजा गया। यहां 1962 में चीनी सेना की एक टुकड़ी जो नेलांग घाटी में घुस गई थी, मुरली सिंह के नेतृत्व में चीनी सैनिकों को पीछे खदेड़ा गया। 1974 में जोशीमठ से पीएसी से सम्मानपूर्वक मुरली सिंह रावत सेवानिवृत्त हुए।