उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले की देश और प्रदेश में विशिष्ट पहचान रखने वाली हिलजात्रा को यूनेस्को की धरोहर में शामिल कराने की कोशिश शुरू हुई है। यह प्रयास अगर सफल हुए तो कुमौड़ हिलजात्रा की विशिष्ट पहचान भगवान शिव के गण लखिया भूत, सतगढ़ गांव की महाकाली, हिरन चीतल और बैलों की जोड़ी के साथ ही हिलजात्रा के दौरान पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ आयोजित होने वाले झोड़ा, चांचरी, खेल, ठुलखेल को पूरे विश्व में अनूठी पहचान मिलेगी। वहीं इस लोक संस्कृति और परंपराओं को सहेजने की योजना को बल मिलेगा। संस्कृति विभाग अल्मोड़ा ने धार्मिक संस्कृति के साथ ही मुखौटा संस्कृति को सहेजे कुमौड़, सतगढ़, देवलथल सहित अन्य जगहों पर आयोजित होने वाली समृद्ध हिलजात्रा को संयुक्त राष्ट्र संघ के संगठन यूनेस्को की धरोहर में शामिल का दायित्व संभाला है, इसके तहत संस्कृति विभाग एक डाक्यूूमेंट्री को तैयार करेगा। इस कार्य के लिए जिला योजना से बजट मिलेगा।