उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन के प्रबंध निदेशक जयदीप अरोड़ा ने बताया कि आंचल डेयरी द्वारा दूध उत्पादन से जुड़े पशुपालकों को 50% सब्सिडी के माध्यम से भूसा उपलब्ध कराया जाता है। बीच में ठेकेदारों के होने से फेडरेशन को नुकसान होता है। इसीलिए शासन ने अब तय किया है कि भूसे की खरीद ठेकेदारों के बजाय सीधे दूध उत्पादन सहकारी संघ से जुड़े पशुपालकों के खेतों से की जाए। जिससे कि डेयरी फेडरेशन के साथ-साथ किसानों को लाभ हो सके।
ठेकेदारों के माध्यम से की जाती थी पूर्व में भूसे की खरीद
प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही है। उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन दूध उत्पादन से जुड़े किसानों को आंचल डेरी समिति के माध्यम से दूध की खरीद करता है। ऐसे में पूर्व में भूसा की खरीद ठेकेदारों के माध्यम से की जाती थी जहां फेडरेशन को नुकसान हो रहा था। लेकिन अब पहली बार उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन किसानों से दूध के साथ-साथ उनके खेतों से गेहूं के भूसे की भी खरीद करने जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में करीब 4000 मेट्रिक टन भूसे की खरीद का लक्ष्य रखा है। जिससे कि पशुपालकों को सब्सिडी के माध्यम से भूसा उपलब्ध कराया जा सके। भूसे की खरीद डेयरी फेडरेशन की समितियों के माध्यम से की जाएगी। जहां किसानों को ₹700 प्रति कुंटल की दर से भूसे का रेट दिया जाएगा। जबकि समिति के सदस्यों को भूसा खरीद प्रोत्साहन के रूप में ₹50 प्रति कुंटल भुगतान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पहले चरण में बड़े किसानों से भूसे की खरीद की जाएगी जिससे कि अधिक से अधिक भूसे की खरीद हो सके। अगर कोई किसान अपने भूसे को डेयरी फेडरेशन को बेचना चाहता है तो समिति में इसकी जानकारी दे सकता है।