इस साल की शुरुआत होते ही उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नाबार्ड के स्टेट क्रेडिट सेमिनार 2023-24 का शुभारंभ करते हुए कहा था कि नए वित्तीय वर्ष में नाबार्ड, राज्य को 30301 करोड़ का ऋण दे सकेगा, जो पिछले साल की तुलना में 6.22 फीसदी अधिक होगा। नाबार्ड का यह लोन उत्तराखण्ड में कृषि, इंफ्रास्ट्रक्चर, एमएसएमई समेत विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए दिया जा रहा है। उन्होंने इन योजनाओं में बेहतर करने सभी की मॉनिटरिंग के निर्देश दिए थे। जिसको लेकर उत्तराखंड राज्य में बीते गुरुवार को राज्य के मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु (Dr. SS Sandhu) ने सचिवालय में कई विभागों से नाबार्ड से ऋण के लक्ष्यों के बारे में समीक्षा बैठक की। जिसमे उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि स्वीकृत प्रस्तावों के सापेक्ष विभागों की डिस्बर्समेंट की प्रगति संतोषजनक नहीं है इसमें सभी विभागों को तेजी बढ़ाने की जरूरत है। दरसल मुख्य सचिव ने सभी विभागों के सचिवों विभागाध्यक्षों को ऋण वितरण और अदायगियों में तेजी लाने के लिए साप्ताहिक समीक्षाएं कीं। इस बैठक दौरान उन्होंने कहा कि विभागों को वितरण अदायगियों में आ रही परेशानियों का जल्द से जल्द निवारण कर उन कामो को पूरा करना चाहिए। विभागीय सचिवों को आरआईडीएफ के तहत आने वाले प्रस्तावों को विभागीय कैलेंडर से जोड़ते हुए स्वीकृति से लेकर डिस्बर्समेंट तक निर्धारित समयसीमा में पूरा कराए जाने और प्रोजेक्ट कम्प्लीशन रिपोर्ट्स को भी जल्दी जमा कराए जाने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने प्रस्तावों की लगातार मॉनिटरिंग किए जाने के निर्देश देते हुए पीएम गति शक्ति उत्तराखण्ड पोर्टल पर भी लगातार अपडेट किए जाने पर फोकस किया है। इस बैठक को लेकर सचिव दिलीप जावलकर ने कहा कि नाबार्ड से लिए गए 1090 करोड़ रुपये ऋण के लक्ष्य के सापेक्ष विभागों ने अभी तक 907.93 करोड़ के प्रस्ताव नाबार्ड को भेज दिए हैं। अभी तक नाबार्ड ने 501.20 करोड़ के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। बाकी प्रस्तावों की समीक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि 900 करोड़ रुपये के डिस्बर्समेंट के लक्ष्य के सापेक्ष अभी तक विभागों द्वारा मात्र 273.82 करोड़ का डिस्बर्समेंट किया गया है। इस मौके पर सचिव डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम, दीपेंद्र कुमार चौधरी, एसएन पाण्डेय, अपर सचिव सी रविशंकर विनीत कुमार समेत कई विभागों के विभागाध्यक्ष उच्चाधिकारी मौजूद रहे हैं।