उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी बिल भी सर्वसम्मति से पास हो गया। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में पीएम मोदी को सदन ने शुभकामनाएं भेजी। साथ ही सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई है। उत्तराखंड ने आज इतिहास रच दिया। विधानसभा में चर्चा के बाद आज समान नागरिक संहिता का बिल ध्वनिमत से पास हो गया।इस संहिता में विवाह की आयु जहां एक ओर सभी युवकों के लिए 21 वर्ष रखी गई है, वहीं सभी युवतियों के लिए इसे 18 वर्ष निर्धारित किया गया है।
ऐसा करके हम उन बच्चियों का शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न रोक पाएंगे। अब इस कानून के जरिए दंपती में से यदि कोई भी, बिना दूसरे की सहमति से अपना धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से विवाह विच्छेद करने और गुजारा भत्ता लेने का पूरा अधिकार होगा। जिस प्रकार से अभी तक जन्म व मृत्यु का पंजीकरण होता था, उसी प्रकार की प्रक्रिया को अपनाकर विवाह और विवाह विच्छेद दोनों का पंजीकरण भी किया जा सकेगा। हमारी सरकार के सरलीकरण के मंत्र के अनुरूप यह पंजीकरण एक वेब पोर्टल के माध्यम से भी किया जा सकेगा।
सीएम ने कहा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विकसित भारत का सपना देख रहे हैं। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रही है। उनके नेतृत्व में यह देश तीन तलाक और धारा-370 जैसी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के पथ पर है। समान नागरिक संहिता का विधेयक पीएम द्वारा देश को विकसित, संगठित, समरस और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए किए जा रहे महान यज्ञ में हमारे प्रदेश द्वारा अर्पित की गई एक आहुति मात्र है। सूसीसी के इस विधेयक में समान नागरिक संहिता के अंतर्गत जाति, धर्म, क्षेत्र व लिंग के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है।
हमनें संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत वर्णित हमारी अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा है, जिससे उन जनजातियों का और उनके रीति रिवाजों का संरक्षण किया जा सक। सीएम धामी ने कहा कि संविधान सभा ने इससे संबंधित विषयों को संविधान की समवर्ती सूची का अंग बनाया है। जिससे केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी अपने राज्य के लिए समान नागरिक संहिता पर कानून बना सकें। आखिर क्यों आजादी के बाद अधिक समय तक राज करने वाले लोगों ने समान नागरिक संहिता को लागू करने के बारें में विचार तक नहीं किया।
वे राष्ट्रनीति को भूलकर सिर्फ और सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति करते रह। कहा कि हमारी माताओं-बहनों के इंतजार की घड़िया अब समाप्त होने जा रही हैं। उत्तराखंड इसका साक्षी बनने जा रहा है जिसके निर्माण के लिए इस प्रदेश की मातृशक्ति ने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। हमारी सरकार का यह कदम संविधान में लिखित नीति और सिद्धांत के अनुरूप है। यह महिला सुरक्षा तथा महिला सशक्तीकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण अध्याय है।उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी विधेयक पर चर्चा की।
उन्होंने इसे ऐतिहासिक विधेयक बताया। कल से लगातार इस विधेयक पर सार्थक चर्चा हुई है। यह कोई सामान्य विधेयक नहीं है। वास्तव में देव भूमि उत्तराखंड का सौभाग्य है जो यह अवसर मिला है। भारत में कई बड़े प्रदेश हैं लेकिन यह अवसर उत्तराखंड को मिला है। हम सब इस बात को लेकर गौरान्वित हैं कि हमें इतिहास लिखने का अवसर मिला। साथ ही देवभूमि से देश को दिशा दिखाने का अवसर इस सदन के प्रत्येक सदस्य को मिला। यह कोई साधारण विधेयक नहीं है बल्कि भारत की एकात्मा का सूत्र है।
हमारे संविधान शिल्पियों ने जिस अवधारणा के साथ हमारा संविधान बनाया था, देवभूमि उत्तराखंड से वही अवधारणा धरातल पर उतरने जा रही है। इस अवसर पर सीएम धामी ने देशवासियों को बधाई दी। कहा कि आज उत्तराखंड की विधायिका एक इतिहास रचने जा रही है। उत्तराखंड और देश के हर नागरिक को गर्व की अनुभूति हो रही है। सदन में यूसीसी को लेकर चर्चा जारी है। अब सत्ता पक्ष के विधायक यूसीसी पर अपनी बात रख रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव दृष्टिपत्र जारी होने के बाद राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने की घोषणा की थी।
उन्होंने भाजपा के सत्ता में वापसी करने के बाद सबसे पहले समान नागरिक संहिता के मामले में निर्णय लेने का एलान भी किया था। सत्ता में आने के बाद पहली ही कैबिनेट में धामी सरकार ने समान नागरिक संहिता के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने का फैसला किया था। आज उस ऐतिहासिक क्षण का सबको बेसब्री से इंतजार है। जब सदन में यूसीसी बिल पास होगा। दशकों से एक बड़ा वर्ग देश में एक समान कानून लागू करने की वकालत कर रहा है। छोटे से राज्य उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने समान नागरिक संहिता लागू करने का बड़ा फैसला लिया।
उसके इस फैसले पर देश और दुनिया की निगाह है। करीब ढाई लाख सुझावों और 30 बैठकों में रायशुमारी के बाद ड्राफ्ट तैयार किया गया है। यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर उत्तराखंड विधानसभा सत्र में चर्चा जारी है। सांविधानिक जरूरत पड़ी तो इस कानून को लागू करने से पहले अनुमोदन के लिए राष्ट्रपति के भेजा जा सकता है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य का कहना है कि यूसीसी के नाम पर प्रदेश सरकार को सत्र को विशेष सत्र का रूप दे रही है। जो नियमों के विरुद्ध है। जबकि विधानसभा सचिवालय की ओर से विधायकों को जो सूचना दी गई है कि उसमें साफ है कि पांच सितंबर 2023 को आहुत सत्र को आगे बढ़ाया गया है।
देश के पहले समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के बिल में किसी धर्म विशेष का जिक्र तो नहीं, लेकिन कई नियमों के बदलाव में रूढ़ि, परंपरा और प्रथा को खत्म करने का आधार बनाया गया है। इद्दत, हलाला को भी प्रत्यक्ष तौर पर कहीं नहीं लिखा गया। हालांकि, एक विवाह के बाद दूसरे विवाह को पूरी तरह से अवैध करार दिया गया है। सदन में सवाल-जवाब का दौर जारी है। कांग्रेस विधायक सुमित हृदेश ने व्यवस्था के तहत सवाल उठाया। कहा कि पीसीएस की भर्ती परीक्षा को लेकर आंदोलन कर रहे युवाओं पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की सीएम धामी ने घोषणा की थी, लेकिन घोषणा अभी तक पूरी नहीं हुई।
सीएम धामी ने दिया जवाब-
जो युवा भर्ती में शामिल होना चाहते है उनके मुकदमे हर हाल में वापस होंगे। गुंडे बदमाशों के मुकदमे वापस नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि जिन युवाओं के फोन कांग्रेस विधायक सुमित हृदेश के पास आए हैं और वह भर्ती में शामिल होना चाहते है उनके मुकदमे वापस होंगे। कहा कि कांग्रेस विधायक ऐसे युवाओं की सूची उपलब्ध कराए। सदन में यूसीसी पर चर्चा जारी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आज पूरा देश उत्तराखंड को देख रहा है। उत्तराखंड के लिए यह युगांतकारी समय है। उन्होंने कहा कि मातृ शक्ति के उत्थान के लिए सभी लोग सकारात्मक रूप से चर्चा में भाग लें।
यह हर पंथ, हर समुदाय और हर धर्म के लिए है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) सबके हित में है और किसी को भी चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। समान नागरिक संहिता का प्रदेश और देशवासियों को लंबे समय से प्रतीक्षा थी। विधानसभा सत्र शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सदन में पहुंच गए हैं। सदन में आज यूसीसी पर चर्चा होगी। विधेयक पारित होना तयविधानसभा में भाजपा को स्पष्ट बहुमत प्राप्त है। उसके 47 सदस्य हैं। कुछ निर्दलीय विधायकों का भी उसे समर्थन प्राप्त है। ऐसे में यूसीसी विधेयक पारित कराने में कोई कठिनाई नहीं है।
चर्चा के बाद यूसीसी विधेयक पारित होना तय माना जा रहा है। समवर्ती सूची का विषय होने की वजह से पारित होने के बाद विधेयक राज्यपाल के माध्यम से अनुमोदन के लिए राष्ट्रपति को भी भेजा जा सकता है। उत्तराखंड विधानसभा सत्र का आज तीसरा दिन है। सदन में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) बिल पारित हो सकता है। दो साल की कसरत के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को विधानसभा के पटल पर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) उत्तराखंड विधेयक 2022 रखकर इतिहास रच दिया। सदन में बिल पेश करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य हो गया है।विधेयक में प्रावधान के मुताबिक, बेटा और बेटी को संपत्ति में समान अधिकार देने और लिव इन रिलेशनशिप में पैदा होने वाली संतान को भी संपत्ति का हकदार माना गया है।
अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों पर यूसीसी लागू नहीं होगा। सदन में विधेयक पेश करने के बाद सीएम ने कहा कि यूसीसी में विवाह की धार्मिक मान्यताओं, रीति-रिवाज, खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर कोई असर नहीं होगा। विपक्ष ने की बिल का अध्ययन करने के लिए समय देने की मांगमंगलवार को सदन के सारे कामकाज स्थगित कर सरकार सदन में 202 पृष्ठों का यूसीसी विधेयक लेकर आई। इस प्रक्रिया को लेकर सदन में विपक्ष की नाराजगी पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने ढाई घंटे सदन स्थगित रखा ताकि बिल के अध्ययन के लिए समय मिले। शाम करीब साढ़े छह बजे सदन स्थगित हो गया।चर्चा के बाद बुधवार को बिल पारित होने की संभावना है।
चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के विधायकों ने धामी सरकार की तारीफ की तो नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य व एक अन्य विपक्षी सदस्य ने इसे पुनर्विचार के लिए प्रवर समिति को भेजे जाने की मांग उठाई। इससे पहले सीएम धामी हाथों में संविधान की पुस्तक लेकर विधानसभा में पहुंचे। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और कांग्रेस सदस्य प्रीतम सिंह ने व्यवस्था प्रश्न उठाया कि बिल पेश किया जा रहा है, लेकिन उन्हें बिल की प्रति नहीं मिली है। उन्होंने स्पीकर से बिल का अध्ययन करने के लिए समय देने की मांग की।