उत्तराखंड राज्य में बागेश्वर जिले के कपकोट क्षेत्र में दरकती पहाड़ियां और भूस्खलन के बीच बागेश्वर और चमोली जिले की सीमा पर बसे कुंवारी गांव के 54 परिवारों को आज भी सुरक्षित जगह विस्थापित किए जाने का इंतजार है। कुंवारी गांव पहली बार 13 जून 2013 को भूस्खलन की चपेट में आया था। उस समय गांव में 80 परिवार निवास करते थे। इनमें कई परिवार संयुक्त थे। भूस्खलन के कारण पूरा गांव खतरे की जद में आ गया था। एक बार फिर गांव की पहाड़ी से भूस्खलन हो रहा है। मकानों के पीछे और आगे दोनों तरफ से हो रहे भूस्खलन से ग्रामीण दहशत में हैं। वर्ष 2013 से गांव में भूस्खलन का दायरा हर साल बढ़ता गया। 10 मार्च 2018 को दोबारा गांव में भीषण आपदा आई और बड़ा भू-भाग भूस्खलन की भेंट चढ़ गया। आपदा के बाद प्रशासन ने पहले चरण में अधिक खतरे की जद में आए 18 परिवारों के विस्थापन की कवायद शुरू की। नौ परिवारों को गांव के विलुप तोक और दो परिवारों को ऐठाण गांव में विस्थापित कर दिया। सात लोगों ने गांव में ही रहने की इच्छा जाहिर की।