जेल से भागने वाली नेपाल की युवती के मामले में अभी जांच जारी है। इसमें लापरवाही बरतने वाले किसी भी जिम्मेदार कर्मचारी पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। हालांकि युवती के भागने को लेकर पिथौरागढ़ पुलिस पर टिप्पणी करने वाले कारोबारी की जांच समाप्त कर पुलिस ने उनका दस हजार का चालान भी काट दिया है।साथ ही आगे सतर्क रहने की भी चेतावनी दी है। पुलिस के अनुसार, फेसबुक की एक पोस्ट पर बीते 10 अगस्त को मंजू जोशी की आईडी से टिप्पणी की गई। जांच में पता चला कि ये टिप्पणी उनके पति लक्ष्मी दत्त जोशी ने की थी। जोशी कारोबारी हैं और शहर के पुराना बाजार में उनका कारोबार है। पोस्ट बंदी गृह से भागने वाली युवती को लेकर थी ।जोशी ने पोस्ट पर टिप्पणी के तौर पर लिखा कि पिथौरागढ़ पुलिस प्रशासन भ्रष्टाचार में लिप्त है। ये बात पिथौरागढ़ पुलि को नागवार गुजरी। एसपी लोकेश्वर सिंह ने एसएसआई मदन सिंह बिष्ट को जांच सौंपी। 16 अगस्त को पुलिस ने व्यापारी को नोटिस जारी किया। इसके बाद जोशी कोतवाली पहुंचे। यहां पुलिस ने आईपीसी की धारा 83 के तहत उनका दस हजार का चालान कर दिया।यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है अधिवक्ता वरिष्ठ अधिवक्ता मोहन सिंह नाथ कहते हैं यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है आलोचना तो जजों, उनके फैसलों की भी होती है, सरकार और प्रशासन की भी होती है। व्यक्तिगत लांछन मानहानि की श्रेणी में आता है।विभाग या समूह के खिलाफ मामला नहीं बनता। लोकतंत्र में आलोचना जनता और मीडिया का अधिकार है। फिल्मों में तो पुलिस को अधिकतर भ्रष्ट ही बताया जाता है। उपरोक्त मामले में लगाई गई धारा गलत है। राज्य अर्थात पुलिस कार्यप्रणाली की आलोचना जनता कर सकती है।