पिथौरागढ़: ऑपरेशन पराक्रम में शहीद हुए सिपाही भुवन चंद्र भट्ट के नाम से उनके पैतृक गांव सुवाकोट में शहीद द्वार का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। शहीद की माता कलावती देवी अपने खर्च से वड्डा-सुवाकोट मार्ग पर शहीद द्वार का निर्माण करा रही हैं।
23 वर्ष की उम्र में देश के लिए दिया सर्वोच्च बलिदान
आपको बता दें कि सुवाकोट निवासी भुवन चंद्र भट्ट फरवरी 1997 को कुमाऊं रेजीमेंट की 16वीं बटालियन में तैनात हुए। ऑपरेशन पराक्रम के दौरान वह लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) तंगधार सेक्टर जम्मू-कश्मीर में 15 जनवरी 2002 को 23 वर्ष की उम्र में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देते हुए शहीद हो गए थे।
मां अपने खर्च पर बना रहीं शहीद द्वार
भुवन की माता कलावती देवी ने शहीद द्वार के निर्माण के लिए 2017 से काफी संघर्ष किया। जब शासन-प्रशासन से इस पर कोई ध्यान नहीं दिया तो उन्होंने अपने खर्च पर शहीद द्वार बनाने की ठानी। अथक प्रयासों के बाद अब शहीद द्वार निर्माण कार्य शुरू हो गया है। पूर्व सैनिक संगठन का कहना है कि एक ओर सरकार पूर्व सैनिकों और शहीदों के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें करती है। दूसरी ओर वीरों की स्मृति में परिजनों को खुद के खर्च पर प्रवेश द्वार बनाना पड़ रहा है। भुवन चंद्र भट्ट देश के लिए शहीद हो गए उनके नाम से सरकार को प्रवेश द्वार का निर्माण कराना चाहिए।