नवरात्र की अवधि में मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना करके माता रानी की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है। नवरात्र का प्रत्येक दिन आदि शक्ति के अलग-अलग स्वरूपों को अर्पित माना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि माता दुर्गा के दूसरे स्वरूप अर्थात मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini) को किस प्रकार प्रसन्न किया जा सकता है।मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्वहिंदू शास्त्रों में वर्णित है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से साधक को यम, नियम के बंधन से मुक्ति मिलती है। साथ ही वह साधक कठिन संघर्षों में भी अपने कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से उसे सिद्धि और विजय प्राप्त होती है। पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्म को प्राप्त करने के लिए देवी भगवती ने तपस्या की थी इसलिए इनका नाम ब्रह्मचारिणी पढ़ा।नवरात्रि के दूसरे दिन प्रातः स्नान ध्यान करने के बाद मंदिर की सफाई करें। इसके बाद मंदिर में एक चौकी पर मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी को पंचामृत से स्नान करवाएं। सफेद रंग माता का प्रिय माना गया है, ऐसे में पूजा के दौरान उन्हें सफेद फूल और वस्त्र अर्पित करें।इसके बाद माता को रोली, चंदन, अक्षत और लाल गुड़हल का फूल चढ़ाएं। इसके साथ ही मां के इस स्वरूप को मिश्री, दूध और पंचामृत का भोग लगाएं। भोग के रूप में माता को फिर मां ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप करें।