भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है जगन्नाथ मंदिर में भगवान के बेशकीमती ख़ज़ाने कों 46 साल बाद रविवार दोपहर 1:28 बजे खोल दिया गया। इस दौरान भंडार गृह में सरकार के प्रतिनिधि, ASI के अधिकारी, मंदिर समिति के गजपति महाराज के प्रतिनिधि समेत 11 लोग मौजूद रहे। रत्न भंडार के खुलने के बाद जगन्नाथ पुरी मंदिर के बाहर जब लकड़ी के बड़े-बड़े संदूक लाए गए तो भक्तों की भारी भीड़ जय-जयकार कर उठी। लकड़ी के इन संदूकों में अरबों की अकूत दौलत भरी पड़ी है, जिसमें बेशकीमती हीरे-जवाहरात सोने-चांदी भरे पड़े हैं। सरकार रत्न भंडार में मौजूद कीमती सामानों की डिजिटल लिस्टिंग करेगी, जिसमें उनके वजन निर्माण जैसे डिटेल होंगे। भक्तों में हमेशा उत्सुकता रही है कि भगवान जगन्नाथ के रत्न भंडार में ऐसा क्या, जिसे अभी तक छुपा रखा गया, जो उनके सामने नहीं आ पाया था। आइए पूरी कहानी जानते हैं। चार धामों में से एक जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर में एक रत्न भंडार है। कहा जाता है कि इसी रत्न भंडार में जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवताओं भगवान जगन्नाथ, बलभद्र सुभद्रा के गहने रखे गए हैं। कई राजाओं भक्तों ने भगवान को सोने-चांदी के गहने बेशकीमती रत्न चढ़ाए थे। उन सभी को इस रत्न भंडार में रखा जाता है। इस रत्न भंडार में मौजूद जेवरात की कीमत बेशकीमती बताई जाती है। आज तक इसका पूरी तरह मूल्यांकन नहीं किया जा सका है। जगन्नाथ मंदिर प्रशासन की ओर से हाई कोर्ट में दिए हलफनामे के मुताबिक, रत्न भंडार में तीन कमरे हैं। 25 बाई 40 वर्ग फुट के अंदर के कमरे में 50 किलो 600 ग्राम सोना 134 किलो 50 ग्राम चांदी है। इनका कभी इस्तेमाल नहीं हुआ। बाहरी कक्ष में 95 किलो 320 ग्राम सोना 19 किलो 480 ग्राम चांदी है. इन्हें त्योहार पर निकाला जाता है। वहीं, वर्तमान कक्ष में तीन किलो 480 ग्राम सोना 30 किलो 350 ग्राम चांदी है।