अल्मोड़ा:आज सोबन सिंह जीना परिसर के सांस्कृतिक कार्यक्रम उद्भव की शुरुआत हुई। तीन दिवसीय उद्भव सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मुख्य सभागार में मुख्य अतिथि के रूप में सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो जगत सिंह बिष्ट, सत्र के अध्यक्ष प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट, विशिष्ट अतिथि गुड्डू भोज, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो इला साह, कुलसचिव प्रो इला बिष्ट, परीक्षा नियंत्रक प्रो गिरीश चन्द्र साह, सांस्कृतिक सचिव नितिन रावत आदि ने दीप जलाकर शुरुआत की।
लोक संस्कृति को प्रकट करती हुई प्रस्तुतियां देखने को मिलेंगी
कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर संगीत विभाग के विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना और स्वागत गीत का गायन किया गया। इसके उपरांत अतिथियों का बैज अलंकरण कर, प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत किया गया। इस अवसर पर महोत्सव की संयोजक प्रो इला साह ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए उद्भव सांस्कृतिक महोत्सव के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के सृजन होने के उपरांत लोक संस्कृति को प्रकट करती हुई प्रस्तुतियां देखने को मिलेंगी।
संस्कृति किसी व्यक्ति, समाज और राष्ट्र का सम्यक दर्शन है
मुख्य अतिथि के रूप में कुलपति प्रो जगत सिंह बिष्ट ने कहा विश्वविद्यालय के उद्भव सांस्कृतिक समारोह का आयोजन होना सुखद है। संस्कृति शब्द के संबंध में उन्होंने कहा कि संस्कृति किसी व्यक्ति, समाज और राष्ट्र का सम्यक दर्शन है। संस्कृति जीवन जीने का तरीका है। संस्कृति हमारे लिए महत्वपूर्ण है और यह वर्षों की जमापूंजी है। आज हम इसी संस्कृति को जानने, समझने के लिए उपस्थित हुए हैं। मुझे आशा है कि तीन दिवसीय महोत्सव में अपने अभिनय से संस्कृति को प्रकाश में लायेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए परिसर निदेशक प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट ने कहा अल्मोड़ा नगरी में हमेशा सांस्कृतिक नगरी को बढ़ावा मिला है। इस नगरी में कई कलाकार दिए हैं। यह परिसर भी रंगमंच के लिए कई कलाकारों को दे चुका है। उन्होंने अल्मोड़ा की सांस्कृतिक इतिहास को प्रस्तुत किया। उन्होंने आयोजकों को बधाई दी।
उत्तराखंड की संस्कृति को उजागर करती हुई झांकियों को प्रस्तुत किया
12 जून से 14 जून,2023 तक आयोजित होने वाले इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रथम दिवस पर कला, विज्ञान, दृश्यकला, शिक्षा, विधि संकाय की झांकियों ने दर्शकों का मन मोहा। संकायों के युवाओं ने गौरा महेश्वर, हिल जात्रा, झोड़ा, उत्तराखंड की संस्कृति को उजागर करती हुई झांकियों को प्रस्तुत किया। साथ ही कुमाउनी झोड़ा, कृषि कार्यों को लोकनृत्यों में पिरोकर रंगारंग प्रस्तुति देकर दर्शकों की वाहवाहियां लूटी। विभिन्न संकायों के बीच हुई लोक नृत्य प्रतियोगिता में झोड़ा, चांचरी की शानदार प्रस्तुति दी गयी। संगीत विभाग की छात्राओं ने उत्तराखंड की संस्कृति को उन्मुख क़रतीं हुई विशेष प्रस्तुतियां दी। ‘तू मालझाले की घुघुती, तू कान बसाती घुघुती, घूर घुरानी घुघुती।’ ओ लाली ओ होसिया, पधानी लाली तीलै धारू बोला आदि गीतों पर शानदार प्रस्तुति दी।
यह लोग रहे मौजूद
महोत्सव का संचालन डॉ संजीव आर्या और डॉ दीपक टम्टा ने किया। रंगकर्मी एवं साहित्यकार त्रिभुवन गिरी महाराज, लोकगायक एवं रंगकर्मी दीवान सिंह कनवाल ने लोकनृत्य और डॉ संगीता पवार और डॉ प्रज्ञा वर्मा ने झांकी का निर्णायक की भूमिका निभाई। कार्यक्रमों के प्रथम दिवस पर प्रभारी कुलसचिव प्रो इला बिष्ट, डॉ देवेंद्र सिंह बिष्ट, प्रो रुबीना अमान, प्रो मधुलता नयाल (निदेशक, शोध एवं प्रसार निदेशालय), प्रो डी के भट्ट, प्रो कौस्तुबानंद पांडे, कुलानुशासक डॉ देवेंद्र धामी, डॉ संदीप कुमार, प्रो शेखर चन्द्र जोशी, प्रो जी एस नयाल, डॉ संदीप कुमार, डॉ राम चन्द्र मौर्या, डॉ कुसुमलता आर्या, डॉ नीलम, डॉ मनोज कुमार बिष्ट, पूर्व महासचिव सुधांशु रौतेला, पवन मेहरा, विपुल कार्की, डॉ सुशील भट्ट, डॉ साक्षी तिवारी, डॉ पुष्पा वर्मा, डॉ योगेश मैनाली, डॉ श्वेता चनियाल, डॉ ममता असवाल, डॉ डी पी यादव, प्रकाश भट्ट , डॉ वंदना टम्टा, इंद्र मोहन पंत, पूर्व महासचिव ललित सतवाल, रोहित रौतेला, निर्मल रावत, डॉ प्रतिभा फूलोरिया, डॉ प्रज्ञा वर्मा, डॉ पुष्पा वर्मा आदि के साथ सांस्कृतिक सचिव नितिन रावत, छात्र संघ अध्यक्ष पंकज कार्की, छात्रा उपाध्यक्ष रुचि कुटौला, उपाध्यक्ष पंकज फर्त्याल, उपसचिव करिश्मा तिवारी ,कोषाध्यक्ष अमित फर्त्याल, अध्यक्ष महासंघ देवाशीष धानिक, पूर्व उपसचिव गोकुल खानी, मोहन देवली, पूर्व अध्यक्ष सुनील कठायत, संदीप तड़ागी, प्रदीप बिष्ट, प्रकाश भट्ट, गुलाब आदि उपस्थित रहे।