अल्मोड़ा जिले के विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रमेश सिंह पाल की लिखित तीन पुस्तकों को संसद भवन की केंद्रीय लाइब्रेरी के नई पुस्तिका अनुभाग में शामिल की गई हैं। जानकारी के लिए बता दे कि संसद पुस्तकालय, राष्ट्रीय पुस्तकालय के बाद भारत की दूसरी सबसे बड़ी लाइब्रेरी है। जिसमे देश के सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज और सभी देशों के संविधान संगृहीत हैं। डॉ. पाल ने एक शोधकर्ता के रूप में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में 50 से अधिक शोध लेख प्रकाशित किए हैं। दर्जनों से अधिक उच्च उपज वाली फसल किस्मों के विकासकर्ता के रूप में योगदान दिया है। साथ ही वह एक आध्यात्मिक लेखक और प्रेरक भी हैं। वर्ष 2018 में उनकी पहली हिंदी पुस्तक ‘अपना स्वरूप’ प्रकाशित हुई। इस पुस्तक को पाठकों ने खूब सराहा था। उनकी तीनों पुस्तकों का संसद पुस्तकालय में सम्मिलित होने पर लोगों ने खुशी जताई है।