अल्मोड़ा — जनपद में मानव–वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती घटनाओं पर नियंत्रण के लिए जिलाधिकारी अंशुल सिंह की अध्यक्षता में आज एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में बंदरों की बढ़ती संख्या, गुलदार (तेंदुए) के हमलों और इनसे जनसुरक्षा पर पड़ रहे प्रभाव पर विस्तार से चर्चा हुई।
जिलाधिकारी ने बंदरों की समस्या को नियंत्रित करने के लिए तुरंत डॉक्टरों की एक समिति गठित कर उनके बंध्याकरण की कार्रवाई तेज करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बाहरी क्षेत्रों से बंदरों को लाकर यहां छोड़े जाने की शिकायतें चिंताजनक हैं।
इसे रोकने के लिए जिला सीमाओं पर वन विभाग और पुलिस की संयुक्त चेकिंग टीम तथा इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट स्थापित किए जाएंगे।गुलदार के हमलों पर चिंता जताते हुए डीएम ने सभी एसडीएम को अपने-अपने क्षेत्रों की रिपोर्ट प्रस्तुत करने और प्रभावी रणनीति तैयार करने के निर्देश दिए।
उन्होंने संवेदनशील इलाकों में अधिक पिंजरे लगाने, रेस्क्यू सेंटरों का विस्तार करने और पकड़े गए तेंदुओं के पुनर्वास के लिए उपयुक्त स्थलों की पहचान करने को कहा।डीएम ने यह भी स्पष्ट किया कि अव्यवस्थित कचरा निस्तारण जंगली जानवरों के बस्तियों की ओर आने का मुख्य कारण है। इसलिए नगर निकायों और ग्रामीण स्तर पर ठोस कचरा प्रबंधन की व्यवस्था को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए।
साथ ही सोलर फेंसिंग को बढ़ावा देने और संवेदनशील स्थानों पर बेहतर प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया गया।
बैठक में मेयर अजय वर्मा, डीएफओ दीपक सिंह, अपर जिलाधिकारी युक्ता मिश्र, डीएफओ सिविल सोयम प्रदीप कुमार, डीएफओ (रानीखेत) संतोष कुमार पंत सहित कई विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।
