वरिष्ठ औषधि निरीक्षक मीनाक्षी बिष्ट के निर्देश पर औषधि निरीक्षक पूजा जोशी ने नगर क्षेत्र के विभिन्न मेडिकल स्टोर्स में औचक निरीक्षण किया। यह कार्रवाई मध्यप्रदेश और राजस्थान में कथित रूप से जहरीले कफ सिरप के सेवन से गंभीर रूप से बीमार हुए 16 बच्चों के मामलों के बाद की गई। राज्य सरकार ने बच्चों की खांसी और जुकाम की दवाओं कोल्ड्रिफ तथा डेक्सट्रोमेथीफन हाइड्रोब्रोमाइड सीरप पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। निरीक्षण के दौरान संदिग्ध सीरपों के नमूने एकत्र किए गए, जिन्हें मानक जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया है। साथ ही, मेडिकल स्टोर संचालकों और फार्मासिस्टों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि चार वर्ष तक की आयु के बच्चों को चिकित्सक की सलाह के बिना ऐसे सीरप न दिए जाएं। एफडीए आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि संदिग्ध कफ सिरप बनाने वाली कंपनियों की फैक्ट्रियों, सरकारी अस्पतालों और मेडिकल स्टोर्स से सैंपल लिए जा चुके हैं। इन नमूनों की प्राथमिकता के आधार पर जांच कराई जा रही है, और यदि गड़बड़ी पाई जाती है तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी। वरिष्ठ औषधि निरीक्षक मीनाक्षी बिष्ट ने कहा कि इस घटना के बाद विवादित सीरपों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और व्यापक जांच शुरू हो चुकी है। केंद्र और राज्य सरकारों ने संयुक्त रूप से एडवाइजरी जारी कर बच्चों में कफ सिरप के उपयोग पर सख्ती से नियंत्रण के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार के अनुसार, सभी जिलों के औषधि निरीक्षकों को चरणबद्ध रूप से सैंपल एकत्र कर लैब में जांच भेजने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि दोषपूर्ण और हानिकारक दवाओं को तत्काल बाजार से हटाया जा सके। निरीक्षण के दौरान दवा विक्रेताओं ने जनस्वास्थ्य को सर्वोपरि मानते हुए सैंपलिंग प्रक्रिया में पूरा सहयोग दिया और यह भरोसा दिलाया कि भविष्य में किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं की जाएगी।मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य सचिव और एफडीए आयुक्त के निर्देशों के तहत एसोसिएशन ने सभी दवा विक्रेताओं को स्पष्ट आदेश जारी किए हैं कि 4 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी भी स्थिति में ये कफ सिरप न दिया जाए, जबकि 4 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को केवल चिकित्सक की सलाह पर ही दवा दी जा सकती है।
