अल्मोड़ा जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली आए दिन लोगो के सामने नई चुनौती लाकर सामने रख रही है। स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर किए गए बेहतरी के दावे रोजाना किसी नई समस्या के साथ फेल होते नजर आ रहे हैं। महिला अस्पताल में अब भी गर्भवतियां टपकती छत के नीचे प्रसव कराने के लिए मजबूर हैं। आजादी से पूर्व वर्ष 1925 में बना अस्पताल भवन जर्जर हो चुका है।
हल्की बारिश में भी जर्जर छत से प्रसव कक्ष में पानी टपक रहा है। दीवारों पर सीलन है। स्वास्थ्य कर्मियों के लिए उपकरणों को सुरक्षित रखने के साथ ही जच्चा-बच्चा को संक्रमण से सुरक्षित बचाना किसी चुनौती से कम नहीं है। जच्चा-बच्चा के लिए आधुनिक उपकरण तो हैं लेकिन इनके बेहतर रखरखाव के लिए आधुनिक प्रसव कक्ष नहीं बन सका है। गर्भवतियों के साथ स्वास्थ्य कर्मियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
महिला अस्पताल में हर रोज जिले के कई हिस्सों से गर्भवतियां जांच और प्रसव के लिए पहुंचती हैं। यहां हर रोज 40 से अधिक गर्भवतियों की जांच होती है और दो से तीन प्रसव होते हैं।