अल्मोड़ा: आज राजा राममोहन राय की 250वीं जयंती के अवसर पर अल्मोड़ा नगर में रैली का आयोजन हुआ। रैली में नगर क्षेत्र के सभी स्कूलों के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया। राजाराम मोहन राय भारतीय नवजागरण के अग्रदूत थे। सती प्रथा जैसे अंधविश्वास और अत्यंत कष्टकारी कुरीति को समाप्त करने वाले भारतीय पुनर्जागरण के जनक कहलाते हैं। बच्चों को राजा राममोहन राय से बुराई के खिलाफ लड़ने की और सही का साथ देने की सीख मिलती है।
कौन थे राजा राममोहन राय
राजा राममोहन राय का जन्म 2 मई 1772 को बंगाल प्रेसीडेंसी के राधानगर हुगली में एक वैष्णव परिवार में हुआ। वह न केवल एक समाज सुधारक और शिक्षाविद थे, बल्कि धर्म, राजनीति और लोक प्रशासन के क्षेत्र में भी उनका प्रभाव था। इंग्लिश, हिंदी, संस्कृत, बंगाली, अरबी और फारसी जैसी भाषाओं का राजा राममोहन राय को ज्ञान था। उन्होंने उपनिषदों का अनुवाद करने के लिए आत्मीय सभा नामक एक संघ का गठन किया था और इसका अंग्रेजी, हिंदी और बंगाली में अनुवाद किया था।
आधुनिक भारत का निर्माण और राजा राममोहन राय
आधुनिक भारत के निर्माता राजा राममोहन राय ने सती प्रथा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों को मिटाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। अनगिनत कामों में, राजा राम मोहन राय की सबसे बड़ी उपलब्धि 1828 में ब्रह्म समाज की स्थापना थी। इसे भारत के पहले सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलनों में से एक माना जाता है। ब्रह्म समाज मानव जाति के भाईचारे में विश्वास करता था। ब्रह्म समाज के माध्यम से, राजा राम मोहन राय ने जाति व्यवस्था, बहु पत्नी प्रथा, बाल विवाह, शिशु हत्या, महिलाओं के एकांत और पर्दा प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई।