अल्मोड़ा| जिला अस्पताल में एकमात्र अस्थि रोग विशेषज्ञ की ड्यूटी चारधाम में लगाई गई है। इस कारण जिला अस्पताल हड्डी रोग विशेषज्ञ विहीन हो गया है। इससे मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मुख्यालय के बीचों-बीच स्थित जिला अस्पताल में हर दिन नगर समेत दूर-दराज से बड़ी संख्या में मरीज उपचार को पहुंचते हैं। इनमें हड्डी रोग से जुड़े मरीज भी शामिल हैं। ऐसे में अस्पताल में तैनात एकमात्र अस्थि रोग विशेषज्ञ की ड्यूटी इन दिनों चारधाम यात्रा में लगा दी गई है। इससे अस्पताल में हड्डी के उपचार को पहुंच रहे मरीजों को बैरंग लौटना पड़ रहा है। अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिलने से मरीजों को मजबूरन निजी चिकित्सालयों में अधिक धनराशि खर्च कर उपचार कराना पड़ रहा है या फिर पांच किमी दूर बेस की दौड़ लगानी पड़ रही है। इससे खासकर दूर-दराज से पहुंचने वाले मरीज परेशान हैं।
आते हैं 30 से अधिक मरीज
जिला अस्पताल में हड्डी रोग से संबंधित हर दिन करीब 30 से अधिक मरीज पहुंचते हैं। ऐसे में बीते कई दिनों से अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिलने से मरीजों की मुश्किलें बढ़ती जा रहीं हैं। हालांकि अस्पताल प्रशासन वैकल्पिक व्यवस्था कर मरीजों के उपचार का दावा कर रहा है, लेकिन मायूस मरीज उपचार की सुविधा से इनकार कर रहे हैं।अल्मोड़ा| जिला अस्पताल में एकमात्र अस्थि रोग विशेषज्ञ की ड्यूटी चारधाम में लगाई गई है। इस कारण जिला अस्पताल हड्डी रोग विशेषज्ञ विहीन हो गया है। इससे मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मुख्यालय के बीचों-बीच स्थित जिला अस्पताल में हर दिन नगर समेत दूर-दराज से बड़ी संख्या में मरीज उपचार को पहुंचते हैं। इनमें हड्डी रोग से जुड़े मरीज भी शामिल हैं। ऐसे में अस्पताल में तैनात एकमात्र अस्थि रोग विशेषज्ञ की ड्यूटी इन दिनों चारधाम यात्रा में लगा दी गई है। इससे अस्पताल में हड्डी के उपचार को पहुंच रहे मरीजों को बैरंग लौटना पड़ रहा है। अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिलने से मरीजों को मजबूरन निजी चिकित्सालयों में अधिक धनराशि खर्च कर उपचार कराना पड़ रहा है या फिर पांच किमी दूर बेस की दौड़ लगानी पड़ रही है। इससे खासकर दूर-दराज से पहुंचने वाले मरीज परेशान हैं। आते हैं 30 से अधिक मरीज जिला अस्पताल में हड्डी रोग से संबंधित हर दिन करीब 30 से अधिक मरीज पहुंचते हैं। ऐसे में बीते कई दिनों से अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिलने से मरीजों की मुश्किलें बढ़ती जा रहीं हैं। हालांकि अस्पताल प्रशासन वैकल्पिक व्यवस्था कर मरीजों के उपचार का दावा कर रहा है, लेकिन मायूस मरीज उपचार की सुविधा से इनकार कर रहे हैं।