अल्मोड़ा के निवर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी ने उत्तराखंड राज्य में जल्द से जल्द भू कानून लागू किये जाने की वकालत की। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि उत्तराखंड राज्य के लिए भू कानून बेहद जरूरी है। जिसके लिए सभी प्रदेशवासियो को एकजुट हो कर इसकी मांग करनी चाहिए। उन्होंने कहां कि उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों को बचाने के लिए भू-कानून लागू होना बेहद आवश्यक है।
उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है जिसकी पहचान पहाड़ से है। इसलिए हम सभी को मिलकर पहाड़ के जल, जंगल और जमीन की हिफाजत करनी होगी। बीते कुछ सालों में जिस तरह पहाड़ की जमीन बेची जा रही है उसको देखते हुए यह बेहद चिंताजनक है। उत्तराखंड राज्य में कड़ा भू-कानून लागू किया जाना बेहद आवश्यक है। ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि बेचने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना चाहिए और गैर कृषक की ओर से कृषि भूमि खरीदने पर भी रोक लगनी चाहिए।
वहीं पहाड़ी इलाकों में गैर पहाड़ी मूल के निवासियों के भूमि खरीदने पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए। हिमाचल में एक मजबूत भू-कानून होने के कारण कोई भी बाहरी व्यक्ति जमीन नहीं खरीद सकता।यहां के भूमि सुधार कानून में लैंड सीलिंग एक्ट और धारा-118 के कारण राज्य की भूमि पर बाहरी उद्योगपति, बिल्डर और भू-माफिया, धन्नासेठ मनमाना कब्जा नहीं कर पाए हैं। हिमाचल और उत्तराखंड की सारी भौगोलिक परिस्थितियां लगभग एक जैसी ही हैं।
हिमाचल प्रदेश टेंसी एंड लैंड रिफॉर्म एक्ट 1972 में प्रावधान किया था। एक्ट के 11वें अध्याय में कंट्रोल ऑन ट्रांसफर ऑफ लैंड्स (भूमि के हस्तांतरण पर नियंत्रण) में धारा-118 के तहत हिमाचल में कृषि भूमि नहीं खरीदी जा सकती। गैर हिमाचली नागरिक को यहां जमीन खरीदने की इजाजत नहीं है और कॉमर्शियल प्रयोग के लिए आप जमीन किराए पे ले सकते हैं। इसी तर्ज पर उत्तराखंड में भी सशक्त भू कानून लागू होना अति आवश्यक है।