अल्मोड़ा में सिंचाई विभाग की ओर से नगर के ड्रेनेज सिस्टम के साथ नालों के निर्माण में हो रही देरी पर उत्तराखण्ड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बिट्टू कर्नाटक ने सिंचाई विभाग पर गहरा रोष व्यक्त किया है। रोष व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा नगर मे अगर बरसात से पहले करोड़ों रूपये खर्च कर के बनाए जा रहे ड्रेनेज सिस्टम और नालों का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया गया तो इसकी जवाबदेही पूर्णतया कार्यदायी संस्था सिंचाई विभाग की होगी।
साथ ही उन्होंने यह भी कहां कि अल्मोड़ा नगर के ड्रेनेज सिस्टम और नालों के निर्माण के लिए लगभग 17 करोड़ रूपये की धनराशि स्वीकृत होकर टेन्डर हुए भी 9 महीने बीत चुके है। इसके बाद अभी तक निर्माण कार्य पांच प्रतिशत भी नहीं हो पाया है। जो स्पष्ट रूप से ठेकेदार और सम्बन्धित विभाग की लापरवाही दर्शाता है। उन्होंने यह भी कहा कि शायद सिंचाई विभाग इस बात से अनभिज्ञ हैं कि ड्रेनेज सिस्टम और नालों के अभाव में बरसात के मौसम में अल्मोड़ा वासी जिसमें विशेष रूप से खत्याड़ी, न्यू इन्दिरा कालोनी और पाण्डेखोला के निवासी भय में रहते हैं।
कि पानी की निकासी की वजह से कोई बड़ी आपदा न आ जाए। पूर्व में भी बरसात के मौसम में ऐसी आपदाएं आ चुकी है जिसमें पानी की निकासी न होने से दर्जनों लोगों के भवन क्षतिग्रस्त हुए थे। ड्रेनेज सिस्टम और नालों के निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए अगले साल अप्रैल की तिथि नियत है लेकिन निर्माण कार्यों की प्रगति देखकर लगता है कि अप्रैल तक ड्रेनेज सिस्टम और नालों का निर्माण होना असम्भव है। सिंचाई विभाग के अधिकारी खुद इस बात को मान रहे हैं कि कार्य पांच प्रतिशत भी नहीं हुआ है।
ऐसे में सम्बन्धित ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही न किया जाना समझ से परे है। उन्होंने कहा कि विभाग अपनी कार्यप्रणाली को सुधारें और जनहित के इस गम्भीर मुद्दे पर सजगता से कार्य करें। उन्होंने कहा कि यदि अभी भी विभाग अपनी कार्य शैली को नहीं सुधारता है और नालों के निर्माण कार्य में तेजी नहीं आता है तो विभाग एक वृहद जन आन्दोलन को झेलने के लिए स्वयं को तैयार कर लें। सिंचाई विभाग के अधिकारी अपने सरकारी दफ्तरों से बाहर निकलें और धरातल पर कार्य कराना सुनिश्चित करें।
यदि अपने तय समय अप्रैल तक सिंचाई विभाग अल्मोड़ा के ड्रेनेज सिस्टम और नालों का कार्य पूरा नहीं करा पाया और बरसात में पानी की निकासी के कारण अल्मोड़ा नगर के किसी भी भवन को क्षति पहुंची तो इसकी जिम्मेदारी स्पष्ट तौर पर सिंचाई विभाग के अधिकारियों की होगी। जनहित की समस्याओं के समाधान में किसी भी तरह की हील हवाली बर्दाश्त नहीं की जाएगी।