आरटीई (RTE) के तहत प्राइवेट स्कूलों की 25 प्रतिशत सीटों पर मुफ्त एडमिशन की व्यवस्था को सीएम पुष्कर सिंह धामी सरकार बदलने जा रही है सरकारी और अशासकीय स्कूलों में सीट न होने पर ही प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन की सुविधा देने पर विचार किया जाएगा। वर्तमान में प्रदेश में करीब एक लाख से ज्यादा छात्र-छात्राएं आरटीई कोटे के तहत प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे हैं। सरकार उनका पूरा खर्च उठाती है। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि वर्तमान में राज्य के सरकारी स्कूल पहले के मुकाबले बेहतर स्थिति में हैं।सरकारी स्कूलों के शिक्षक भी बेहतर और क्वालीफाइड होतेहैं। इसलिए जरूरी हो गया है कि आरटीई के नियम को अबसंशोधित कर दिया जाए। इसका प्रस्ताव तैयार किया जा रहाहै। इसे कैबिनेट में लाया जाएगा।यह है नुकसान पिछले 12 साल में आरटीई कोटे के तहत सरकार 800 करोड़ से अधिक पैसा प्राइवेट स्कूलों को फीस के रूप में दे चुकी है। ड्रेस, किताब, एमडीएम आदि का खर्च इसमें शामिल नहीं है। हर साल 126 करोड़ रुपये फीस के रूप प्राइवेट स्कूलों को दिए जा रहे हैं। दूसरा, जो छात्र सरकारी स्कूलों में आ सकते थे, उनका प्रवाह प्राइवेट स्कूलों की ओर हो गया है।यह है व्यवस्था प्रत्येक छात्र को शिक्षा देने के लिए सरकार ने वर्ष 2011-12 में आरटीई कोटे से प्राइवेट स्कूलों में सबसे छोटी कक्षा से आठवीं तक निशुल्क एडमिशन की व्यवस्था लागू की थी। इसके तहत प्रदेश के चार हजार से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों में उनकी 25 फीसदी को आरटीई कोटे में आरक्षित कर दिया गया। आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित परिवारों के बच्चे इसके पात्र होते हैं।