उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण का रास्ता फिर साफ हो गया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट ने आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का लाभ देने के लिए विधेयक लाने को मंजूरी दी है। इसी मानसून सत्र में विधेयक सदन के पटल पर रखा जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की अध्यक्षता में शुक्रवार को सचिवालय में हुई कैबिनेट बैठक में 22 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।सूत्रों ने बताया कि यह विधेयक 2004 से तब से लागू माना जाएगा जब से राज्य आंदोलनकारियों को नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिलना शुरू हुआ था। ताकि इस अवधि में आरक्षण का लाभ लेने वाले कर्मचारियों के भी हित सुरक्षित हो सकें। दरअसल, एनडी तिवारी सरकार ने सबसे पहले आंदोलनकारियों को 2004 में आरक्षण का लाभ दिया था।तब सात दिन से अधिक जेल में रहने वाले अथवा घायलों को समूह ग के पदों पर जिलाधिकारियों के मार्फत सीधी नौकरियां दी गई थी। वहीं, सात दिन से कम जेल में रहने वाले अथवा चिन्हित आंदोलनकारियों को 10 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया था। लेकिन ये सभी लाभ जीओ के आधार पर मिल रहे थे।26 अगस्त, 2013 को हाईकोर्ट ने आरक्षण पर रोक लगा दी थी, जबकि मार्च 2018 में आरक्षण के लाभ से संबंधित जीओ, नोटिफिकेशन और सरकुलर सभी को खारिज कर दिया था। दिसंबर, 15 में हरीश रावत सरकार ने विधानसभा के सदन में विधेयक पारित कर राजभवन को भेजा था, लेकिन तब से यह विधेयक राजभवन में लंबित पड़ा रहा। सितंबर, 22 मेंधामी सरकार ने इस विधेयक को राजभवन से वापस मंगाते हुए आंशिक संशोधन के लिए कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में सब कमेटी गठित की थी।
कैबिनेट के प्रमुख फैसले
-संविदा, तदर्थ व नियत वेतनमान कर्मचारियों को भी बाल्यदेखभाल व पितृत्व अवकाश
– उत्तराखंड आयुष नीति को मंजूरी
-सरकारी विश्व विद्यालय के लिए अंब्रेला एक्ट
– निजी विश्व विद्यालयों में 25 फीसदी सीटें स्थानीय छात्रों के लिए आरक्षित-स्टेट इंस्टीट्यूट आफ होटल मैनेजमेंट रामनगर के ढांचा स्वीकृत
– एकल संवर्ग पदों पर रिजल्ट घोषित होने पर प्रतीक्षा सूची भीबनेगी
– अनुपूरक बजट को मंजूरी
-इंदिरा मार्केट रि डेवलपमेंट परियोजना को मिला एक्सटेंशन
– उत्तराखंड माल एवं सेवाकर संशोधन विधेयक को मंजूरी