देश चलाने के लिए संविधान की आवश्यकता होती है। उसी तरह शांति और न्याय व्यवस्था के लिए कानून बेहद आवश्यक है। अदालतों में आपने एक लेडी की मूर्ति देखी होगी, जिसकी आंखों पर पट्टी बंधी होती है। कहा भी जाता है कि कानून अंधा होता है। इस लेडी के एक हाथ में तराजू और दूसरे हाथ में तलवार होती है। क्या आपको इन सबके बारे में जानकारी है? आइए जानते हैं..
इन धारणाओं से कालांतर में लेडी जस्टिस की अवधारणा उत्पन्न हुई
इस मूर्ति को लेडी ऑफ जस्टिस कहा जाता है। लेडी जस्टिस की उत्पत्ति जस्टिसिया (या इस्टिटिया ) थी, जो रोमन पौराणिक कथाओं के भीतर न्याय की देवी थी। इसका जिक्र मिस्र (Egypt) की देवी माट और यूनान की देवी थेमिस और डाइक या डाइस के रूप में होता है। माट, मिस्र की समरसता, न्याय, कानून और शांति व्यवस्था की विचारधारा का प्रतीक मानी जाती है। वहीं थेमिस यूनान में सच्चाई और कानून व्यवस्था की प्रतीक है, जबकि डाइक न्याय और नैतिक व्यवस्था की। इन्हीं धारणाओं से कालांतर में लेडी जस्टिस की अवधारणा विकसित हुई।
पौराणिक कथाओं में भी मिलता है जिक्र
पौराणिक कथाओं के अनुसार, डिकी ज्यूस की बेटी थीं और इंसानों के साथ न्याय करती थीं। वैदिक संस्कृति में ज्यूस को घोस यानी प्रकाश और ज्ञान का देवता यानी वृहस्पति कहा गया है। डिकी का ही रोमन पर्याय थीं जस्टिशिया देवी, जिन्हें आंखों पर पट्टी बांधे दर्शाया जाता है। Lady Justice यानी न्याय की देवी के हाथ में तराजू और तलवार होने के साथ आंखों में पट्टी इंसाफ की व्यवस्था में नैतिकता के प्रतीक माने जाते हैं। जिस तरह ईश्वर सभी को बिना भेदभाव किए एक समान रूप से देखते हैं, उसी तरह न्याय की देवी भी, ताकि न्याय प्रभावित न हो।
न्याय की मूर्ति क्या दर्शाती है
न्याय की देवी कानून के हर आयाम को दर्शाती है। न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी बंधी है, एक हाथ में तराजू है और दूसरे में तलवार है, पैरों के नीचे सांप है। तराजू ये दर्शाता है कि वो सच और झूठ को तोलती हैं और उसके आधार पर ही न्याय करती हैं। ये न्याय करते वक्त उनकी आंखों पर पट्टी बंधी रहती है जिससे वो ये सामने खड़े व्यक्ति के रसूख या शक्ति से प्रभावित ना हो पाएं, वो सिर्फ सबूतों और गवाहों के आधार पर ही सही फैसला सुनाने के लिए आंखों पर पट्टी बांधे रहती हैं।