उत्तराखंड राज्य में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता समाप्त होते ही राज्य में भर्तियां, लंबे समय से अटकी पदोन्नति और ट्रांसफर व साथ ही नई योजनाओं के लिए बजट भी जारी होगा। आज गुरुवार को आचार संहिता हटने के विधिवत आदेश जारी होने की उम्मीद है।
पदोन्नति में मिलेगा शिथिलता का लाभ
चुनाव आचार संहिता समाप्त होते ही अब विभागों में पदोन्नति से जुड़े प्रकरणों का तेजी से निस्तारण शुरू होगा। सबसे बड़ा लाभ कर्मचारियों को पदोन्नति में शिथिलता से मिलेगा। 30 जून तक ही कर्मचारियों को पदोन्नति में शिथिलता का लाभ मिलना है। इसके बाद ये लाभ मिलना बंद हो जाएगा। चुनाव आचार संहिता के कारण पदोन्नति में शिथिलता का लाभ नहीं मिल पा रहा था। विभागों में बड़ी संख्या में पदोन्नति के पद खाली पड़े थे। जल संस्थान में तो अधीक्षण अभियंता के सभी पद खाली पड़े हैं। पूरे विभाग में मुख्य महाप्रबंधक नीलिमा गर्ग और महाप्रबंधक डीके सिंह को छोड़ कोई भी महाप्रबंधक और अधीक्षण अभियंता नहीं है। शेष सभी लोग अधिशासी अभियंता के पद तक ही सीमित हैं।
रिक्त पदों पर होगी भर्ती
आचार संहिता हटने के बाद 3600 प्राथमिक शिक्षकों की भी भर्ती होनी है। आयोग गत सप्ताह ही इसकी इजाजत दे चुका है। इस भर्ती को सम्पन्न कराने के लिए शिक्षा विभाग उत्तराखंड राजकीय प्राथमिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली 2024 संशोधित कर चुका है। नर्सिंग अधिकारियों के 1500 और डॉक्टरों के 500 रिक्त पदों पर भर्ती होनी है।
विभागों में होंगे तबादलों
आचार संहिता के चलते विभागों में अभी तक तबादले नहीं हो पाए थे, जबकि 10 जून तक तबादलों की अंतिम समय सीमा है। चुनाव ड्यूटी में व्यस्त होने की वजह कई विभाग तबादलों की प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाए है। इस वजह से कई विभागों ने राज्य सरकार से तबादलों की तय सीमा को बढ़ाने की गुजारिश की है।
प्रशासन में होंगे बदलाव
आचार संहिता हटने के बाद जिलों से लेकर सचिवालय तक कई अधिकारियों की जिम्मेदारियों को बदला जा सकता है। वर्तमान में कई जिलाधिकारी डेढ़ से दो साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। इधर, जल्द ही प्रदेश में निकाय चुनाव के कारण फिर अचार संहिता लागू हो सकती है, इस कारण भी सचिवालय से लेकर जिलों में तक व्यापक तबादले होने की संभावना है।
निकाय चुनाव का होगा रास्ता साफ
आचार संहिता के कारण, निकाय चुनाव भी नहीं हो पा रहे थे। आचार संहिता हटने के बाद सरकार को ओबीसी आरक्षण में संशोधन करना है, इसके लिए ऐक्ट में संशोधन होना है। शहरी विकास विभाग पहले ही एक सितंबर से पहले निकाय चुनाव की डेडलाइन तय कर चुका है। अब ऐक्ट संशोधन करते हुए सरकार निकाय चुनाव का रास्ता साफ कर सकती है।