आज हम आपके लिए बहुत ही फायदेमंद चीज़ लेकर आये है जिसका इस्तेमाल कर के आप हैरान हो जायेंगे अगर आपकी आंखें कमजोर हो गई हैं या फिर इन पर चश्मा लग चुका है और आप ऐसा सोच रहे है कि अब यह यह चश्मा अब कभी नहीं उतरेगा, तो आप ये गलत सोच रहे है। भारत में मौजूद प्राचीन चिकित्सा पद्धतियां ऐसी हैं जो आपकी आंखों की रोशनी बढ़ा सकती हैं, चश्मे को भी हटा सकती हैं।
आपको बता दे आयुर्वेद और योग के अलावा भी भारत में एक और चिकित्सा पद्धति है जिसको नेचुरोपैथी यानि प्राकृतिक चिकित्सा के नाम से जाना जाता है, इस नेचुरोपैथी में आंखों में होने वाली बहुत सी बीमारियों का इलाज मौजूद है। इस नेचुरोपैथी को आप अपने घर पर खुद ही आजमा सकते हैं और आंखों की बीमारियों को हमेशा के लिए अलविदा कह सकते हैं.. आइए जानते हैं इसके बारे में
फरीदाबाद के बहुत जाने-माने नेचुरोपैथ मेहेर सिंह कहते हैं कि नेचुरोपैथी बहुत सी ऐसी बीमारियों के इलाज मौजूद हैं जो अन्य चिकित्सा पद्धतियों में भी नहीं है। नेचुरोपैथी भारत में प्राचीन काल से है और पुराने समय में लोग इससे इलाज करते थे, ऐसे में धीरे-धीरे ये इलाज के उपाय बड़े-बुजुर्गों से होते हुए घरेलू नुस्खों या होम रेमेडीज के रूप में प्रचलित हो गए। जबकि बहुत सारी चीजें लोग भूल गए या किताबों में ही रह गईं. हालांकि रिसर्च, स्टडीज और चिकित्सकों व मरीजों अनुभव के आधार पर एक बार फिर नेचुरोपैथी लोगों के बीच पहुंच रही है।
चिकित्सक सिंह कहते हैं कि आंखों के लिए नेचुरोपैथी में देसी गाय के घी को इस्तेमाल करने के लिए बताया गया है। ध्यान रहे कि भैंस और किसी अन्य नस्ल की गाय का घी नेचुरोपैथी में मेडिकली इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। घी की तासीर एल्केलाइन यानि क्षारीय होती है, ऐसे में यह ठंडा होता है और किसी भी मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है।