सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्वारा कराने के निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। जस्टिस जे.के.माहेश्वरी और पी.एस.नरसिम्हा ने याचिकाकर्ता से व्यक्तिगत रूप से कहा, वह इस तरह की याचिका लेकर अदालत में क्यों आए हैं और इस बात पर जोर दिया कि अदालत अनुच्छेद 32 के तहत इस पर विचार करने में दिलचस्पी नहीं रखती है।
राष्ट्रपति को ही संसद भवन का उद्घाटन करना चाहिए क्योंकि वह संसद के प्रमुख हैं
पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा, अनुच्छेद 79 यहां कैसे प्रासंगिक है? एडवोकेट सीआर जया सुकिन ने कहा कि राष्ट्रपति संसद का प्रमुख होता है और यह पूरी तरह से अनुच्छेद 79 और 87 का उल्लंघन है। सुकिन ने दी कि राष्ट्रपति को ही संसद भवन का उद्घाटन करना चाहिए क्योंकि वह संसद के प्रमुख हैं। उन्होंने पूछा कि प्रधानमंत्री कैसे उद्घाटन कर सकते हैं। लेकिन बेंच के विचार करने से इनकार करने के बाद, सुकिन याचिका वापस लेने पर सहमत हुए।
नवनिर्मित संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया जाना प्रस्तावित
बता दें कि नवनिर्मित संसद भवन का उद्घाटन रविवार 28 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया जाना प्रस्तावित है। जिस पर याचिका कर्ता ने दायर याचिका में कहा गया है कि लोकसभा सचिवालय, भारत संघ, गृह मंत्रालय और न्याय मंत्रालय ने संविधान का उल्लंघन किया है। याचिका में कहा गया है कि लोकसभा सचिवालय द्वारा 18 मई को जारी बयान और नए संसद भवन के उद्घाटन के बारे में लोकसभा महासचिव द्वारा जारी किया गया निमंत्रण कार्ड मनमाना तरीके से जारी किया गया है।