देशभर में आज दिनांक 01 जुलाई सोमवार से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। वहीं, पुराने यानी कि औपनिवेशिक काल के कानूनों के तीन कानून खत्म कर दिए गए हैं। जहां एक तरफ आईपीसी और सीआरपीसी अब इतिहास बन गई है वहीं, दूसरी ओर आईईए को भी खत्म कर दिया गया है। इसके साथ ही भारतीय न्याय संहिता में भी बदलाव किया गया है। जिससे अब एफआईआर लिखवाने के लिए थाने के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। अब घर बैठे इलेक्ट्रानिक कम्युनिकेशन के जरिए ई-मेल, व्हाट्सएप, और सीसीटीएनएस पोर्टल के जरिए FIR दर्ज करवाई जा सकेगी। अगर ई-FIR दर्ज करवाई जाती है तो तीन दिन के भीकर पीड़ित को थाने जाना होगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो उसकी FIR को फर्जी माना जाएगा।
3 नए कानून
•-भारतीय न्याय संहिता (BNS)
•-भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)
•-भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)
कौन कौन सी धाराएं बदली
•-भारतीय न्याय संहिता (BNS) में भी बदलाव किए गए हैं।
•-भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) में बदलाव किए गया है।
•-नए कानून में गवाहों की सुरक्षा के लिए भी प्रावधान बनाए गए है।
•-तीन नए आपराधिक कानून लागू होने के बाद बीएनएस में करीब 175 धाराओं में बदलाव किया गया है।
•-अब तक इंडियन एविडेंस एक्ट में 167 धाराएं थीं, लेकिन भारतीय साक्ष्य अधिनियम में कुल 170 धाराएं हैं।
•-नए कानून में 6 धाराएं खत्म कर दी गई हैं और अधिनियम में दो नई धाराएं और 6 उप धाराएं जोड़ी गई हैं।
•-डॉक्युमेंट्स की तरह इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी कोर्ट में माने जाएंगे, जिसमें ई-मेल, मोबाइल फोन, इंटरनेट आदि से मिलने वाले साक्ष्य शामिल हैं।
•-धोखाधड़ी से संबंधित धारा का क्रम में बदलाव किया गया है। नए कानून में धोखाधड़ी और ठगी करने वालों के खिलाफ धारा-318 लागू होगी। अब किसी ठग को 420 कहना सही नहीं होगा।
•-हत्या, रेप, डकैती, चोरी समेत हर धारा का नंबर भारतीय न्याय संहिता में बदल दिया गया है।भारतीय न्याय संहिता में IPC की दफा 302 बदलकर धारा 103 कर दी गई है।
•-IPC की जगह भारतीय न्याय संहिता, CRPC की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और IEA की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम हो गया है।