अल्मोड़ा में आज दिनांक 28 नवंबर को गर-गूठ सड़क निर्माण के लिए संघर्ष समिति के बैनर तले 10 गांवो की जनता ने विकास-भवन से बेस अस्पताल को जोड़ने वाली सड़क में डामरीकरण को लेकर जिलाधिकारी अल्मोड़ा से पुरजोर मांग की। अल्मोड़ा जिले की लगभग 10 गांव की जनता निरंतर रूप से विकास भवन से बेस चिकित्सालय तक सड़क के डामरीकरण और मरमत के लिए पिछले कई सालो से संघर्षरत है। साथ ही इस संबंध में पूर्व में जनता ने संघर्ष समिति के जरिये की कई ज्ञापन जिला प्रशासन और उत्तराखंड सरकार को प्रेषित किए हैं। यह भी सर्वाधिक है कि सार्वजनिक निर्माण विभाग ने सूचना अधिकार में मांगी गई सूचनाओं के अंतर्गत यह बताया कि उत्तराखंड सरकार को 3 करोड़ 25 लाख का बजट गया हुआ है और पारित होने पर कार्य प्रारंभ किया जाएगा इसकी सूचना सार्वजनिक विभाग ने समाचार पत्रों में भी प्रकाशित की थी लेकिन खेद है एक साल पूरा होने के बाद भी इस सड़क में किसी भी तरह का कोई काम नहीं किया जा रहा है यह सड़क जिलाधिकारी कार्यालय अल्मोड़ा से लगी हुई है, इससे विदित होता है कि सरकार मुख्यालय में बनाई गई सड़क को 2012 के बाद डामरीकरण नहीं कर रही है तो प्रदेश की ग्रामीण क्षेत्र की तरफ सरकार अपना ध्यान सड़क निर्माण और अन्य निर्माण के लिए नहीं दे पा रही है। यह बिंदु भी विदित करना आवश्यक है की इस सड़क में एक शमशान भी है जहां पर लोग हिंदू रीति रिवाज से सॉन्ग का दाह संस्कार करने के लिए आते हैं। आज जब इस क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज विकास भवन प्रशासनिक कार्यालय न्यायालय भवन आदि का निर्माण किया जा चुका है और यह कार्यालय अन्यत्र स्थान से स्थानांतरित भी हो गए हैं तो ऐसी स्थिति में प्रशासनिक उद्देश्य से भी इस सड़क का महत्व और भी बढ़ जाता है।पर्वती क्षेत्र में निरंतर रूप से देवी आपदा के कारण भूस्खलन हो रहा है इसलिए अर्ध निर्मित यह सड़क भी कई वर्षों से भूस्खलन का शिकार बनी हुई है इसका देवी आपदा मध्य से भी किसी प्रकार का जीणोद्धार नहीं हो रहा है। लोकतंत्र में सर्वोच्च भूमिका का निर्वहन करने वाली सरकार में जनता का महत्वपूर्ण स्थान है लेकिन अल्मोड़ा की जनता अल्मोड़ा की ही सड़क में जिसका एक ऐतिहासिक महत्व है सांस्कृतिक नगरी के नाम से जानी जाती है इस प्रकार की विपत्तियां का सामना कर रही है जो अत्यधिक विचारणीय प्रश्न है। आसपास के गांव से जीजीआईसी और आर्य कन्या में पढ़ने वाली बच्चियों सड़क में स्थिति अच्छी न होने की वजह से किलोमीटरो के हिसाब से पैदल चलकर विद्यालय जा रही हैं जहां जाने के बाद वह थक जाती हैं और विद्या अध्ययन में उनकी शीतलता मस्तिष्क को भी शीतल कर देती है। जिला प्रशासन से जनता यह अनुरोध करती है इस मांग का अभिलंब विचार करते हुए कार्यवाही सुनिश्चित करें। ऐसा भी जनता का मंतव्य है कि अनावश्यक रूप से आंदोलन के लिए प्रेरित ना होना पड़ा है अपितु आवश्यकता और लोक कल्याण को मध्य नजर रखते हुए प्रशासन तथा सरकार इस विपदा का निवारण करेंगे तथा निश्चित रूप से कई वर्षों से अनदेखी की गई सड़क का जीणोद्धार होगा। जिलाधिकारी अल्मोडा के साथ संघर्ष समिति की हुई सौहार्द पूर्ण वार्ता में जिलाधिकारी ने कहा कि जिला प्रशासन की इस सड़क के डामरीकरण को लेकर निरन्तर शासन से वार्ता चल रही है,बहुत जल्द उक्त सड़क में डामरीकरण का कार्य प्रारंभ होने की उम्मीद है। ज्ञापन देने वालो में संघर्ष समिति के अध्यक्ष विनय किरौला, कोषाध्यक्ष श्याम सिंह, पूरन बिष्ट, प्रकाश बिष्ट, पान सिंह, अनिता बिष्ट, रूपा देवी, चंद्रा बिष्ट, रेवती देवी, सरस्वती देवी, गीता बिष्ट, शोभा बिष्ट, हेमा बिष्ट, भानु बिष्ट, हेमा देवी, भुवन बिष्ट, कैलाश जोशी, बसंती देवी, नंदी बिष्ट, हिमांशु बिष्ट, कमल बिष्ट, आनंद बिष्ट, दीपक बिष्ट, राजेन्द्र बिष्ट आदि दर्जनों लोग उपस्थित थे।