उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय जिले में बेरोजगारों को रोजगार देने के बड़े बड़े वादे तो किए जा रहे है। लेकिन वहीं दूसरी और इन वादों की आड़ में लोगो से उनका रोजगार छीना जा रहा है। अल्मोड़ा जिले में अपना अस्तित्व खो रहीं दो हजार से अधिक लोगों को रोजगार देने वालीं दो दवा फैक्टरी इसका प्रमाण हैं। जिले में स्थापित उद्योग दम तोड़ रहे हैं और रोजगार के लिए लोग मारे-मारे फिर रहे हैं, लेकिन नए उद्योग स्थापित कर रोजगार के द्वार खोलने के दावे जरूर हो रहे हैं। जानकारी के लिए बता दे कि रानीखेत में 80 के दशक से स्थापित 1000 लोगों को रोजगार देने वाली दवा फैक्टरी निजी हाथों में सौंप दी गई और 950 से अधिक लोग बेरोजगार होकर मारे-मारे फिर रहे हैं। राज्य गठन के बाद हिमालयी जड़ी बूटियों का संरक्षण और आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण करने वाली यह सरकारी दवा फैक्टरी अपना अस्तित्व नहीं बचा सकी और 2023 में इसे निजी हाथों में सौंप दिया गया। अब यहां मात्र 15 कर्मचारियों की तैनाती है और 985 लोगों से रोजगार छिन गया। वहीं सल्ट के मोहान में संचालित दवा फैक्टरी के निजी हाथों में सौंपने की तैयारी होते ही 300 लोगों की रोजी-रोटी पर संकट मंडरा गया है।