अल्मोड़ा जिले के जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान में आज दिनांक 20 फरवरी मंगलवार को चीड़ एवं रिंगाल आधारित आजीविका के अवसर पर तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। जिसमे मौजूद वैज्ञानिकों ने वनाग्नि से जैव विविधता को हो रहे नुकसान पर चिंता जताई।
कार्यशाला में जैव विविधता संरक्षण व प्रबंधन विभाग केंद्र प्रमुख डॉ आईडी भट्ट ने कहा-
वनाग्नि से हिमालय की जैव विविधता को नुकसान पहुंच रहा है। ज्यादातर आग चीड़ के जंगलों में फैलती है। हम चीड़ की पत्तियों से विभिन्न उत्पाद बनाकर इसे कम कर सकते हैं। इससे वनाग्नि में कमी के साथ-साथ लोगों की आय भी बढ़ेगी। साथ ही उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग आजीविका संवर्धन में करने की बात कही।
डॉ. हर्षित पंत जुगरान ने पिरूल से जैव ईधन तैयार करने के बारे में बताया। डॉ. सुबोध ऐरी ने अतिक्रमणकारी पादप प्रजातियों के प्रभावों की जानकारी दी। कार्यशाला में हंस फॉउन्डेशन के अल्मोड़ा, बागेश्वर, टिहरी और पौड़ी से आए कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया। प्रतिभागियों को सूर्यकुंज का भ्रमण भी कराया गया। यहां डॉ. अशोक साहनी, डॉ. एससी आर्य, किरन चौधरी, ममता अधिकारी आदि मौजूद रहे।