हाईकोर्ट के आदेश पर वर्ष 2014 में अस्तित्व में आई जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति का 10 साल बाद भी बायलॉज नहीं बन पाया था। मंदिर समिति की स्पष्ट नियमावली नहीं होने से कई बार असमंजस की स्थिति बनी रहती है। व्यवस्था को नियमानुसार लागू किया जा सके इसके लिए धर्मस्व सचिव के निर्देश पर अल्मोड़ा जिले में स्थित जागेश्वर धाम में दिनांक 15 फरवरी बृहस्पतिवार को एसडीएम एनएस नगन्याल की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया। जिसके पहले चरण प्रबंधक ज्योत्सना पंत और पुजारी प्रतिनिधि नवीन चंद्र भट्ट ने नियमावली को लेकर कुछ सुझाव दिए। वहीं उपाध्यक्ष ने सूचना देरी से मिलने का हवाला देते हुए सुझाव के लिए 15 दिन का समय मांगा।
प्रबंधक समिति के सुझाव-
– पुजारियों को अप्रैल से अगस्त तक 50 और सितंबर से मार्च तक 30 प्रतिशत अंशदान दें।
– पुजारियों को मंदिर समूह में किए गए पूजन की आय का 70 प्रतिशत दिया जाना चाहिए।
– बाहरी पुजारियों के मंदिर गर्भगृह में पूजा-अर्चना करने पर बारीदार पुजारी के अंशदान में कटौती हो।
– बारीदार पुजारियों के अलावा अन्य पुजारियों का मंदिर में घूमना, बैठना प्रतिबंधित होना चाहिए।
पुजारी प्रतिनिधियों के सुझाव-
– मंदिर ट्रस्ट केवल आंतरिक प्रबंधन का कार्य करेगी, बाहरी कार्यों में हस्तक्षेप नहीं होगा।
– निर्णय के लिए प्रबंधन समिति को समस्त सदस्यों की लिखित सहमति लेनी चाहिए।
– पुजारी समुदाय से संबंधित प्रकरणों पर पुजारी प्रतिनिधि की सहमति अनिवार्य।
-पुजारी समुदाय से संबंधित प्रकरणों पर पुजारी प्रतिनिधि की सहमति अनिवार्य।
– नए पुजारियों को आवेदन के बाद 15 दिन के भीतर हर हाल में सूचीबद्ध करना चाहिए।