अल्मोड़ा: पूर्व निर्धारित कार्यक्रमानुसार कई संगठनों के लोग शनिवार पूर्वाह्न गांधी पार्क में प्रदर्शन के लिए एकजुट हुए। जहां से लोगों ने नगर में बाजे-गाजे के साथ गीत गाते हुए और नारे लगाते हुए प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारी ‘भू माफियाओं की कब्र बनेगी उत्तराखंड की छाती पर’, ‘जल जंगल जमीन हमारी नहीं सहेंगे धौंस तुम्हारी’, जैसे नारे लगे। यह रैली माल रोड, मिलन व नगर की बाजारों से होते हुए वापस गांधी पार्क पहुंची। जहां सभा में तब्दील हो गई।
जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन
आयोजित रैली के मुख्य संयोजक उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि भ्रष्ट नौकरशाहों, पूंजीपतियों, माफियाओं को राजनैतिक संरक्षण मिल रहा है। जिससे उत्तराखंड अपराध व अराजकता के दलदल में फंस गया है। उन्होंने कहा कि इससे मुक्ति के लिए अब सीधी लड़ाई जरूरी हो गई है और इस लड़ाई का वक्त आ गया है। प्रदर्शन से पूर्व और बाद में हुई जनसभा को सालम समिति के अध्यक्ष राजेंद्र रावत, झालडुंगरा के दीवान सिंह बिष्ट, एडवोकेट जीवन चंद्र, ईश्वरी दत्त जोशी, उपपा के प्रधान महासचिव प्रभात ध्यानी, व्यापार मंडल अल्मोड़ा के सुशील साह, लोक कलाकार महासंघ उत्तराखंड के गोपाल चम्याल, उत्तराखंड लोक वाहिनी के अध्यक्ष राजीव वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष पूरन रावल, सद्भावना यात्रा के भुवन पाठक, इंकलाबी मजदूर केंद्र के रोहित (रामनगर), परिवर्तन कामी छात्र संगठन के महेश, विशाल गुप्ता (हल्द्वानी), उत्तराखंड छात्र संगठन की भावना पांडे भूमि बचाओ संघर्ष समिति फलसीमा के विनोद बिष्ट समेत तमाम लोगों ने संबोधित किया। कार्यक्रम के समापन पर जिला प्रशासन के माध्यम से एक ज्ञापन मुख्यमंत्री को भेजा गया।
यह हैं प्रमुख मांगे
ज्ञापन में कहा गया है कि राज्य बनने के बाद भूमि बंदोबस्ती नहीं होने से पीढ़ियों से पर्वतीय क्षेत्रों का आधार चौपट हो गई है, गांव खाली हो हैं, बेरोजगारी चरम पर है। जिससे भू-माफियाओं की पहुंच गांव-गांव तक हो गई है। जिससे उत्तराखंडी अस्मिता तार-तार हो रही है। ज्ञापन में सरकार से त्रिवेंद्र रावत सरकार द्वारा कृषि भूमि की असीमित खरीद के काले कानून को तत्काल वापस लेने, अधिकारियों द्वारा प्रभावशाली लोगों को जमीनों के उपयोग की अनुमति के दुरुपयोग की उच्च स्तरीय जांच कर जमीनें जब्त करने, उत्तराखंड हितों के संरक्षण के लिए पर्वतीय क्षेत्रों को संविधान की धारा 371 का संरक्षण प्रदान करने, बेनाप में वर्गीकृत भूमि को समाज को सौंपने, भूमि की बंदोबस्ती व चकबंदी करने, सशक्त भू कानून से बाहरी लोगों पर कृषि भूमि खरीदने पर रोक लगाने, सौर ऊर्जा के नाम पर बाहरी कंपनियों द्वारा लीज पर जमीन में कब्जे की व्यवस्था समाप्त करने व भनोली झाल डुंगरा में सन लेयर कंपनी के घपले घोटालों की उच्च स्तरीय जांच कर उनकी लीज निरस्त करने, वन पंचायतों के लिए अलग अधिनियम बनाने, भू माफियाओं के खिलाफ समान रूप से सख्त कार्यवाही करने, अल्मोड़ा जिले में प्लीजेंट वैली को तत्काल जब्त करने की मांग की गई है।
यह संगठन हुए शामिल
रैली और सभा में उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, उत्तराखंड लोक वाहिनी, व्यापार मंडल अल्मोड़ा, लोक कलाकार महासंघ उत्तराखंड, विहान मंच, कुमाऊनी भाषा साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति, भूमि बचाओ संघर्ष समिति फलसीमा, भूमि बचाओ संघर्ष समिति चितई, नानीसार बचाओ उत्तराखंड बचाओ संघर्ष समिति, वन पंचायत संघर्ष समिति, वन पंचायत संघर्ष मोर्चा उत्तराखंड, बस्ती बचाओ संघर्ष समिति, नगीना कॉलोनी संघर्ष समिति लाल कुआं, पछास हल्द्वानी, उत्तराखंड छात्र संगठन, ग्रामीण सेवा सुनौली, इंकलाबी मजदूर केंद्र रामनगर, सद्भावना यात्रा उत्तराखंड समेत अनेक संगठन शामिल रहे।
यह लोग रहे मौजूद
समाजवादी नेता वरिष्ठ अधिवक्ता गोविंद लाल वर्मा, एडवोकेट रमाशंकर नैनवाल, उपपा महासचिव एडवोकेट नारायण राम, एडवोकेट मनोज पंत, पत्रकार नवीन बिष्ट, देवेंद्र भट्ट,भास्कर भौर्याल, बसंत खनी, राम सिंह, संस्कृति कर्मी देवेंद्र, आनंदी डॉ. जेसी दुर्गापाल, कवि हर्ष जोशी, हयात सिंह रावत, दिनेश उपाध्याय, राजू कांडपाल, भुवन वर्मा, पंकज कुमार, कौस्तुभानंद, हीरा देवी, राजू गिरी, मनीषा,चंपा सुयाल, अमीनुर्रहमान, मोहम्मद वसीम, भावना मनकोटी, प्रकाश चंद्र, मंजू पंत, दानू, हेमा पांडे, गिरधारी कांडपाल, हेम पांडे, देवेंद्र सिंह पिलखवाल, पूरन सिंह गैलाकोटी, गोपाल, धीरेंद्र मोहन पंत, पूरन चंद्र तिवारी, दीपांशु पांडे समेत अनेक लोग शामिल रहे।