अल्मोड़ा जिले का रानीखेत क्षेत्र जहां राज्य का एक जाना माना मशहूर और खूबसूरत टूरिस्ट स्पॉट है। वहीं इस शहर के नाम पर एक बीमारी का नाम भी है। जबकि उस बीमारी की उत्पत्ति से रानीखेत शहर का कोई लेना देना नहीं है। क्षेत्र के नाम पर रखी गयी इस बीमारी के इस मामले ने तेजी पकड़ ली है यह मामला अब उत्तराखंड होई कोर्ट पहुंच गया है। एक जनहिन याचिका में मांग की गई है कि ‘रानीखेत बीमारी’ का नाम बदलकर कुछ और किया जाए। इस नाम से रानीखेत जैसे टूरिस्ट स्पॉट की छवि खराब होती है। मामले पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वो इस बीमारी का कोई दूसरे नाम सुझाए। सरकार को 27 जून तक जवाबी हलफनामा देने का समय मिला है। इस बीच आइए जानते हैं कि अंग्रेजों ने क्यों अपने यहां पैदा हुई बीमारी का नाम भारत की खूबसूरत जगह पर रखा।
क्या है रानीखेत बीमारी –
यह बीमारी पक्षियों में होने वाली एक घातक और संक्रामक बीमारी है। खासतौर पर इस बीमारी का सबसे ज़्यादा प्रभाव मुर्गियां पर होता है। इस बीमारी की चपेट में आने से पक्षी कमजोर हो जाता है और उसकी सांस फूलने लगती है। बीमार मुर्गियां दाना-पानी कम लेती है ओर एक-दो दिन के अन्दर मर जाती है। बीमारी का प्रकोप फैलने पर 50-60 प्रतिशत मुर्गियां मर जाती हैं।
क्या है इस बीमारी का असली नाम –
न्यूकैसल नमक एक रोग है जिसे रानीखेत रोग बुलाया जाता है। इस बीमारी का पहला मामला 1926 में जावा (इंडोनेशिया) और 1927 में न्यूकैसल अपॉन टाइन (इंग्लैंड) शहर में दर्ज हुआ था। डॉयल ने 1927 में पहली बार पहचाना कि ये रोग एक वायरस के कारण होता है जो फाउल प्लेग से अलग है। उन्होंने इस वायरस का नाम NDV (Newcastle Disease Virus) और बीमारी को ‘न्यूकैसल’ नाम दिया। अमेरिकी सरकार की NCBI वेबसाइट के मुताबिक, यह महामारी इंग्लैंड के बाद कोरिया, भारत, श्रीलंका, जापान और फिलीपींस सहित दुनिया के बाकी हिस्सों में भी रिपोर्ट की गई।बताया जाता है कि अंग्रेजों के जरिए ही न्यूकैसल बीमारी भारत पहुंची थी। 1939 में जब यह रानीखेत में फैली तो ब्रिटेन के विज्ञानियों ने अपने देश की बीमारी को चालाकी से भारतीय नाम ‘रानीखेत वायरस’ दे दिया. तब से आज तक दुनिया के कई देशों में न्यूकैसल को रानीखेत बीमारी के नाम से जाना जाता है, जबकि मूल रूप से इसकी उत्पत्ति ब्रिटेन के शहर में हुई थी।