उत्तराखंड राज्य में स्थित पहाड़ी जनपदों के सरकारी अस्पतालों की स्थिति दिन प्रति दिन बद से बदतर होती जा रही है। यहां की बदहाल पड़ी स्वास्थ्य सेवाएं लोगो के यहां के लोगो के लिए किसी चुनौती से काम से काम नहीं। इन बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं का सबसे ज़्यादा असर गर्भवती महिलाओ पर पड़ता है। पहाड़ के तीन जिलों अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और चंपावत में पिछले एक साल के अंदर 131 गर्भवतियों का 108 एंबुलेंस में प्रसव हुआ। अल्मोड़ा जिले में 32 महिलाओ का, पिथौरागढ़ जिले में 42 और चंपावत जिले में 57 गर्भवतियों का प्रसव एंबुलेंस में हुआ। इनमें से अल्मोड़ा जिले में 12 तो चंपावत में एक केस ऐसा है जिसे अस्पताल से रेफर किया गया था। ये प्रसव अस्पताल में भी हो सकते थे, लेकिन जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने के लिए अस्पताल प्रशासन गर्भवतियों की जान जोखिम में डालकर उन्हें रेफर कर दिया। आपातकालीन सेवा से मिली जानकारी के अनुसार बीते वर्ष जिन 32 गर्भवतियों का 108 एंबुलेंस में प्रसव हुआ उनमें से लगभग 40 प्रतिशत सरकारी अस्पतालों से रेफर होकर हायर सेंटर ले जाई जा रहीं थीं।