उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अभिभावकों पर पड़ रहे मंहगी किताबों के अतिरिक्त बोझ को समझते हुए निजी स्कूलों द्वारा सहायक किताबों के नाम पर अभिभावकों की जेब में सेंध लगाने वालों पर कार्यवाही के आदेश दिए हैं। विद्यालयी शिक्षा से 25 अप्रैल तक की गई कार्रवाई से आयोग को सूचित करने को भी कहा गया है।
सहायक किताबों की कीमत एनसीईआरटी की पूरी किताबों के मूल्य से दो से तीन गुना तक ज्यादा
आयोग ने अपने पत्र में लिखा है कि महंगी किताबों के बोझ से अभिभावकों को राहत देने के लिए सरकार ने वर्ष 2018-19 में सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें लागू करने का निर्णय लिया था। उम्मीद थी कि इससे अभिभावकों को आर्थिक राहत मिलेगी। लेकिन कई सहायता प्राप्त और प्राइवेट स्कूलों ने अभिभावकों से महंगी किताबें खरीदवाने का नया रास्ता तलाश लिया है। अब सहायक किताबों के नाम पर अभिभावकों की जेब में सेंध लगाई जा रही है। कई कक्षाओं में सहायक किताबों की कीमत एनसीईआरटी की पूरी किताबों के मूल्य से दो से तीन गुना तक ज्यादा है। आयोग ने विद्यालयी शिक्षा महानिदेशक को पूर्व में जारी आदेशों का पालन नहीं करवा पाने पर कहा है कि ये बेहद खेद का विषय है कि वह अपने आदेश को भी लागू नहीं करवा पा रहे हैं। नतीजतन निजी स्कूल विभागीय नियम-कानूनों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।