उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिल्कयारा सुरंग का एक हिस्सा ढहने से पिछले रविवार को 41 मजदूर उसमें फंसे हैं। आज आठ दिन हो चुके हैं। लेकिन अभी तक मजदूरों का रेस्क्यू नहीं हो पाया है। मजदूरों को बचाने के लिए बचाव अभियान जारी है। सुरंग ढहने के बाद भीतर 41 प्लान ए, प्लान बी, प्लान सी… तमाम जुगत लगाई जा चुकी है, मगर अभी तक भूवैज्ञानिकों, इंजीनियरों, सुरंग निर्माण विशेषज्ञों और भू-तकनीकी विशेषज्ञों समेत रेस्क्यूअर्स की एक पूरी टीम को कोई सफलता नहीं मिल पाई हैं। बीते शनिवार को उत्तर प्रदेश के अधिकारी अरुण कुमार मिश्रा ने ह्यूम पाइप के जरिए सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों से बात की। वहां सुरंग मे फंसे हुए मजदूरों की दबी हुई आवाजों ने अधिकारी से एक ही चीज का अनुरोध किया वह यह था कि उन्हें जल्दी बाहर निकाला लिया जाए। उन्होंने कहा कि उन्हें भोजन और पानी मिल रहा है, लेकिन अंदर की स्थिति खराब है। अरुण कुमार मिश्रा ने जब अंदर फंसे मजदूरों को बताया कि उनके परिवार के लोग भी घटनास्थल पर मौजूद हैं तो उन्होंने अपने परिवार के बारे में पूछा।मजदूरों से बात करते हुए अरुण मिश्रा ने मजदूरों को आश्वासन दिया कि बचाव कार्यों के लिए सर्वोत्तम तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने मजदूरों को बताया कि ड्रिलिंग दो तरीकों के होरिजेंटल और वर्टिकल का उपयोग करके फिर से शुरू होगी।अधिकारी वर्टिकल ड्रिलिंग का उपयोग करके, पहाड़ की चोटी से मजदूरों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। सीमा सड़क संगठन (BRO) के एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया कि उन्होंने सुरंग के शीर्ष पर एक बिंदु की पहचान की है जहां से वर्टिकल ड्रिलिंग जल्द ही शुरू होगी। उन्होंने कहा कि यह ट्रैक लगभग 1,000 से 1,100 मीटर लंबा है और उनकी कैलकुलेशन के अनुसार, यह रविवार दोपहर तक तैयार हो जाना चाहिए।