उत्तराखंड के नगर निगम, नगर पालिकाओं में बिना मंजूरी आउटसोर्स से तैनात कर्मचारियों को तत्काल हटाने के आदेश हुए हैं। शासन ने साफ किया है कि अगर ऐसे कर्मचारियों का वेतन जारी किया गया तो इसकी वसूली संबंधित अधिकारी से की जाएगी। निकायों को आउटसोर्स से नई भर्ती के लिए शासन से मंजूरी लेने के भी आदेश दिए गए हैं।निकायों में बड़े पैमाने पर आउटसोर्स के स्वीकृत पदों के अलावा बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की नियुक्ति का मामला सामने आया है। इस पर प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने सभी निकायों को आदेश जारी किए हैं। कहा है कि शासन ने शहरी विकास विभाग द्वारा पुनर्गठित ढांचा 12 जून 2015 के द्वारा स्वीकृत पदों के अलावा किसी भी प्रकार की नियुक्ति नहीं करने का आदेश जारी किया है। इन पदों के अलावा यदि कोई नियुक्ति निकायों द्वारा की गई है तो ऐसी अनियमित नियुक्तियों को तत्काल समाप्त कर दें।निकायों को स्पष्ट आदेश दिए गए हैं कि संविदा, दैनिक वेतन और आउटसोर्स की किसी की भी नियुक्ति की जाती है। तो शहरी विकास विभाग के माध्यम से पहले शासन से पूर्व अनुमति जरूर लें। यदि शासन के दिशा-निर्देशों का अनुपालन नहीं करते हुए किसी निकाय द्वारा कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है और उन्हें वेतन का भुगतान किया जाता है तो इसकी वसूली स्थानीय निकाय के नियंत्रक या सक्षम अधिकारी से की जाएगी निकायों से यह पूछा है कि उनके यहां बिना मंजूरी के कितने कर्मचारी तैनात किए गए हैं।
डेंगू के बीच नगर निगम देहरादून पर नई आफत
शहर में डेंगू फैलने के बीच नगर निगम के सामने नई आफत खड़ी हो गई है। यहां विभिन्न अनुभागों में तीन सौ से ज्यादा कर्मचारी सेवाएं दे रहे हैं जो ऑफिस असिस्टेंट, कंप्यूटर ऑपरेटर, सुपरवाइजर समेत अन्य पदों पर तैनात हैं। ऐसे में यदि इन कर्मचारियों को हटाना पड़ा तो निगम की कार्यप्रणाली पर इसका काफी व्यापक असर पड़ेगा। स्वास्थ्य अनुभाग में लंबे समय से सुपरवाइजरों के पद खाली थे। शासन स्तर से इन पदों पर भर्ती नहीं होने पर मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने कुछ कर्मचारियों को प्रभारी सुपरवाइजर बनाया। कुछ पार्षदों ने इस भर्ती को लेकर सवाल उठाए थे। जिसके बाद यह मामला काफी दिनों तक चर्चा का विषय बना रहा।