मानसून ने देश में दस्तक दे दी है। महीने के अंत तक अधिकांश हिस्सों यह सक्रिय हो जाएगा। लेकिन परेशानी की बात यह है कि मानसून के साथ ही अल-नीनो भी सक्रिय हो गया है और यह पूरे मॉनसून सीजन के दौरान बना रह सकता है। जिस कारण मानसून प्रभावित हो सकता है।
क्या है अल-नीनो
प्रशांत महासागर में पेरू के निकट समुद्री तट के गर्म होने की घटना को अल-नीनो कहा जाता है। आसान भाषा में समझे तो समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में जो बदलाव आते हैं उस समुद्री घटना को अल नीनो का नाम दिया गया है। इस बदलाव की वजह से समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से 6-8 डिग्री ज्यादा हो जाता है। इससे अकसर मानसून प्रभावित होता है और बारिश में कमी आती है। हालांकि हर बार अल-नीनो के असर से ऐसा नहीं होता है।
सर्दियों तक बना रह सकता है अल-नीनो
अमेरिकी एजेंसियों ने बताया कि अल-नीनो की स्थिति बन चुकी है और यह सर्दियों तक बना रह सकता है। अल-नीनो अमूमन हर 4 साल के अंतराल पर सक्रिय होता है। इससे 2018-19 में अल-नीनो हुआ था। भारत में वर्ष 2000 से अब तक 6 बार अल-नीनो सक्रिय हुआ है। आमतौर पर यह मानसून सीजन में ही सक्रिय हुआ है और इसका असर बारिश में कमी के तौर पर दिखा है। इस मामले में 2006 का साल अपवाद था, जब अल-नीनो सितंबर में सक्रिय हुआ था और उसका मानसून पर असर नहीं दिखा था।