अल्मोड़ा जिले के ग्रामीण काश्तकारों को मौसम और जंगली जानवरो की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। जिले में पड़ रही भीषण गर्मी की वजह से लंबे समय से बारिश न होने से पहले ही सूखे से खेती-किसानी चौपट चल रही थी। वहीं अब जंगली सुअरों के आतंक की वजह से बर्बाद हो रही फसलों को देख ग्रामीणों में निराशा है और सरकार से इसके लिए ठोस नीति बनाने की मांग कर रहे हैं। टूनाकोट, ऐरोड़, पाली, खनियां, मुसोली, हिड़ाम, बिल्लेख, लछीना, मनारी, अम्याड़ी सहित तमाम गांवों के लोगों का कहना है कि सुअर खेतों को खोद दे रहे हैं, जिस कारण उनकी उपज तहस नहस हो जा रही है। ऐसे में उन्हें खासा नुकसान उठाना पड़ता है। कई सब्जी बाहुल्य इलाकों में भी सुअर और अन्य जंगली जानवर कहर बनकर टूट रहे हैं। हालांकि, कई स्थानों पर लोगों ने फसलों को बचाने के लिए तारबाड़ आदि की मदद भी ली है, लेकिन यह व्यवस्था व्यापक स्तर पर नहीं है। गगास घाटी के काश्तकार का कहना है कि सरकार को इसके लिए ठोस नीति बनानी चाहिए। काश्तकार मेहनत कर सब्जी और अनाज उगाता है, लेकिन फसल बर्बाद होने से उन्हें खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है।