अल्मोड़ा: रसीला, खट्टा और मीठा स्वाद से भरपूर काफल नहीं खाया तो क्या खाया। बाजार में इस साल का पहला काफल दिखने लगा है। स्वाद से भरपूर काफल सेहत के लिए तो अच्छा है ही साथ ही यह तीन माह तक स्थानीय बेरोजगारों के लिए स्वरोजगार का भी साधन बनता है।
यह मध्य हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाला सदाबहार वृक्ष
काफल का वानस्पतिक नाम मेरिका एस्कुलाटा है। यह मध्य हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाला सदाबहार वृक्ष है। यह 1300 मीटर से 2100 मीटर (4000 फीट से 6000 फीट) तक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पैदा होता है। यह स्वाद में खट्टा-मीठा मिश्रण लिए होता है। काफल के कई फायदे हैं यह कई रोगों में फायदेमंद है।
काफल के फायदे
काफल में विटामिन, आयरन और एंटी ऑक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। काफल की छाल में एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी हेल्मिंथिक, एंटीमाइक्रोबियल, एंटी ऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल क्वालिटी पाई जाती है। इतने गुणों से परिपूर्ण काफल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। काफल के पेड़ की छाल का पाउडर जुकाम, आंखों की बीमारी और सिरदर्द में राहत देता है। इसके तने की छाल का सार, अदरक तथा दालचीनी का मिश्रण अस्थमा, डायरिया, बुखार, टाइफाइड, पेचिस तथा फेफड़े ग्रस्त बीमारियों के लिए उपयोगी है।